ये मामला ना तो तालीबानी शासन वाले अफगानिस्तान का है। ना आईएस नेतृत्व वाले सीरिया और इराक या फिर इस्लामी क्रांति का नेतृत्व करने वाले ईरान का है।
महिलाओं को लेकर कट्टरपंथी सोच का ये नमूना भारत में ही देखने को मिला है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने महिलाओं का फुटबॉल खेलना इसलिए प्रतिबंधित कर दिया क्योंकि मैच के दौरान महिलाएं चुस्त कपड़े पहनती हैं।
मामला पश्चिम बंगाल के माल्दा में देखने को मिला। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक यहां महिलाओं के बीच होने वाला एक फुटबॉल मैच महज इसलिए रद कर दिया गया क्योंकि वहां के मुस्लिम कट्टरपंथियों ने इस पर ऐतराज जता दिया। उनका कहना था कि महिलाएं फुटबॉल मैच के दौरान बेहद चुस्त कपड़े पहनती हैं। ये मैच माल्दा जिले के चांदीपुर गांव में होने वाला था।ये मैच कोलकाता XI (जिसमें कुछ राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी भी शामिल थे) और उत्तरी बंगाल XI के बीच था। इस मैच का आयोजन क्लब के गोल्डन जुबली पूरे होने के उपलक्ष्य में किया जाना था। क्लब के अध्यक्ष रेजा राजीर के मुताबिक हमारा लक्ष्य लड़कियों को आउटडोर खेल में प्रोत्साहन देने पर था।
हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में राजीर ने कट्टरपंथियों की उस सोच पर सवाल उठाए हैं। उनके मुताबिक कट्टरपंथियों ने जिन मुद्दों को लेकर प्रतिबंध लगाए हैं वो बेहद निंदनीय है।
मैच रद होने को लेकर जब हरिश्चंद्रपुर-1 इलाके के ब्लॉक विकास अधिकासी बिप्लब रॉय ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इलाके में किसी भी तरह के जातीय तनाव नहीं हो इसलिए जिलाधिकारी ने मैच रद करने का फैसला लिया।
वहीं इस प्रतिबंध का समर्थन इलाके के तृणमूल कांग्रेस विधायक और मंत्री साबित्री मित्रा ने भी किया है। इस मामले पर संगठन के अध्यक्ष राजीर को एक स्थानीय मस्जिद के इमाम मुफ्ती मकसूद ने धमकी देते हुए ऐसे आयोजन से बचने की बात कही थी।कट्टरपंथियों के दबाव में लिए गए फैसले पर स्थानीय नेताओं और खिलाड़ियों ने ऐतराज जताया है। उनके मुताबिक ये बेहद गंभीर मामला है। हालांकि जिस संस्था प्रोग्रेसिव यूथ क्लब ने इस मैच का आयोजन किया था उसमें ज्यादातर सदस्य मुस्लिम सम्प्रदाय के थे।
मामले पर खिलाड़ियों की ओर से भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। फुटबॉल खिलाड़ी नौसबा आलम ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुझे इस घटना पर विश्वास ही नहीं हो रहा। क्या यही 21वीं सदी का भारत है? क्या अब उनका अगला लक्ष्य सानिया मिर्जा होंगी, जिन्हें वो पूरे कपड़े में टेनिस कोर्ट में जाने के लिए कहेंगे?
सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिर बंगाल में किसका राज है? ये विश्वास के काबिल नहीं है कि कुछ धार्मिक कट्टरपंथी ऐसी मांगे रखते हैं और प्रशासन उनके आगे झुकता नजर आता है।