
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ‘मस्जिद धार्मिक स्थल नहीं’ वाले अपने बयान का बचाव किया है। स्वामी ने हाल ही में कहा था कि मस्जिद धार्मिक स्थल नहीं हैं और इन्हें कभी भी गिराया जा सकता है।
उन्होंने रविवार को अपने इस बयान के बचाव में कहा कि अंग्रेजों के समय में भी सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए मुस्लिम स्थलों को गिराया जाता रहा है।
स्वामी ने कहा, “जहां तक मस्जिद के मु्द्दे की बात है तो भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राम मंदिर के मुद्दे को लेकर साल 1994 में एक बेंच बनाई थी। इस बेंच ने अपनी पड़ताल में यह पाया था कि मस्जिद इस्लामिक स्थानों का अहम हिस्सा नहीं होती हैं। इसलिए अंग्रेजों के समय में भी सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए मुस्लिम स्थलों को गिराया जाता रहा है।”
वहीं भाजपा नेता के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि भाजपा पहले यह स्पष्ट करे कि वो सुब्रमण्यम स्वामी के बयान से इत्तेफाक रखती है या नहीं।स्वामी ने अपने बयान के बचाव में यह भी कहा कि हमारा खुद का अनुभव यह कहता है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भी मंदिरों के रास्ते में पड़ने वाली चार मस्जिदों को हटाया था।
इनमें से एक मध्यप्रदेश में, एक गोवा में और एक कर्नाटक में थी और इस सब के लिए एक निदेशक जिम्मेदार थे जिनका नाम मुहम्मद था और उन्हें हाल ही मे केरल के एक समारोह में सम्मानित भी किया गया था।
सऊदी अरब का हवाला देते हुए स्वामी ने कहा कि वहां पर नियमित तौर पर मस्जिदें गिराई जाती हैं और उन्हें किसी दूसरी जगह पर मस्जिद बनाने की इजाजत भी दी जाती रही है।
गौरतलब है कि स्वामी ने अपना विवादित बयान गुवाहाटी के कार्यक्रम के दौरान दिया था।