मसर्रत पर घिरी मोदी सरकार, अब उठाएगी ये कदम

कट्टर अलगाववादी मसर्रत आलम को रिहा किए जाने के बाद सवालों में घिरी केंद्र सरकार अलगाववादी नेता के खिलाफ यूएपीए के तहत दर्ज मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप सकती है।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में वह राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे में मंत्रालय के अधिकारियों ने आगे के कदम के बारे में चर्चा की है।
इसी के तहत एक सुझाव यह भी आया है कि मसर्रत के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत दर्ज मामलों को एनआईए को सौंप दिया जाए। एनआईए कानून के मुताबिक, अगर केंद्र सरकार को लगता है कि किसी मामले की जांच राष्ट्रीय एजेंसी से करवाने की जरूरत है तो उसकी जांच उक्त एजेंसी को सौंपी जा सकती है।
ऐसी स्थिति में केंद्र स्वत: संज्ञान लेते हुए एजेंसी से जांच शुरू करने को कह सकता है। मसर्रत के खिलाफ दर्ज 27 मामलों में से आठ मामले यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों के तहत दर्ज हैं, जिसमें आजीवन कारावास या फांसी की सजा हो सकती है।
वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने करीब एक दशक पुराने टेरर फंडिंग के मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को समन भेजा है। सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के प्रमुख शाह को 24 मार्च को दिल्ली बुलाया गया है।
अगस्त 2005 में दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने एक हवाला डीलर मोहम्मद असलम वानी को गिरफ्तार किया था। वानी ने दावा किया था कि उसने शाह को 2.25 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करवाई है। अभी तक इन आरोपों से इनकार करने वाले शाह ने कहा कि उन्हें किसी समन के बारे जानकारी नहीं मिली है।