‘एस्सार लीक्स’: मोदी सरकार को SC का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर ‘एस्सार लीक्स’ मामले में जवाब मांगा है। एक जनहित याचिका के जरिए यह मामला उजागर किया गया था कि किस तरह से एस्सार कंपनी अपने कारोबार को फायदा पहुंचाने के लिए राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों और पत्रकारों को इस्तेमाल कर रही है। बदले में वे उनको सुविधाएं मुहैया करवा रहे हैं।
सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (एसपीआईएल) की जनहित याचिका पर तीन न्यायधीशों की पीठ के मुखिया जस्टिस टी एस ठाकुर ने एस्सार समूह और केंद्र सरकार को छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि एस्सार कंपनी में काम करने वाले एक भूतपूर्व कर्मचारी ने इस मामले का खुलासा किया था। इस मामले में एनडीए, यूपीए सरकार के वर्तमान और पूर्व मंत्रियों के खिलाफ सबूत दिए गए हैं। सबूत के तौर पर एस्सार कंपनी के भूतपूर्व कर्मचारी ने कंपनी की इंटरनल कम्युनिकेशन को सबके सामने ला दिया था।इसके अलावा कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले से ब्हिसलब्लोअर की पहचान बताने के लिए भी कहा। सीपीआईएल ने सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान तथ्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यह मामला सीबीआई को सौंपना चाहिए या फिर एक स्पेशल जांच टीम का गठन किया जाना चाहिए।
सीपीआईएल ने कहा कि कॉरपोरेट समूह के लिए विशेष गाइडलाइंस को बनाना चाहिए जिससे वो किसी का बेजा इस्तेमाल न कर पाए। यह मामला लोक नीति से जुड़ा है इसलिए इसकी महत्ता और बढ़ जाती है।
पीआईएल में कंपनी के कम्युनिकेशन में बताया गया है कि किस तरह से एस्सार समूह मंत्रियों, राजनीतिज्ञों और पत्रकारों का इस्तेमाल अपने कारोबार के हितों को साधने के लिए कर रहा है।
पीआईएल में बताया गया है कि एस्सार कंपनी प्रभावशाली व्यक्तियों के जरिए मुख्य निर्णयों को बदलवाने, जनता के लिए बनने वाली नीतियों का बदलवाने, लोकसभा में प्रश्न उठवाने, गोपनीय दस्तावेज लीक करवाने के साथ-साथ मीडिया में विशेष कहानियां प्लांट करती थी।
सीपीआईएल ने इस मामले को उजागर करने वाले व्यक्ति का नाम न खोलने की बात सुप्रीम कोर्ट में रखी। इस सूत्र को सुरक्षा के साथ-साथ उसके नाम को पूरी गोपनीयता मिलनी चाहिए।