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आप की बैठक का आंखों देखा हाल

पढ़िये क्या था ‘आप’ की मीटिंग के अंदर का हाल, पढ़कर चौंक जाएंगे आप

मैं अरविंद के लिए वोट देने गया था, लेकिन परिस्थितियों को देखकर मुझे अपना फैसला बदलना पड़ा और अचानक मुझे योगेन्द्र और प्रशांत, अजीत झा और आनंद कुमार बेहतर लगने लगे और मैं उनके साथ बाहर आ गया…

विशाल लाठे

आम आदमी पार्टी (आप) की नेशनल काउन्सिल (एनसी) की बैठक में कल शनिवार को वह सबकुछ हुआ जिसके लिए आप देश की अन्य राजनीतिक पार्टियों पर निशाना साधती रही है. बैठक से पहले योगेंद्र यादव ने धरना दिया, बागियों को उनका पक्ष सुने बिना बाहर निकाला गया, बाउंसर्स के हाथों नेताओं की पिटाई भी हुई. इसके बाद जहां प्रशांत भूषण ने कोर्ट जाने की बात कही, वहीं मेधा पाटकर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्‍यता से इस्‍तीफे का ऐलान कर दिया.

‘आप’ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल रहे ज़ोन संयोजक रुहेलखण्ड ज़ोन विशाल लाठे ने स्पेशल कवरेज न्यूज को वहां का पूरा हाल बताया. उन्‍होंने जो बताया, उसके आधार पर बैठक में हुआ पूरा मामला आपको चौंका देगा.

आज आम आदमी पार्टी के इतिहास का काला दिन है, आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग हुई जिसको मैं आपके सामने पूरे विस्तार से रखना चाहता हूँ. प्रातः 9 बजे साथियों को लाइन लगाकर सभागार में मैसेज चेक करके लिया गया (जो साथी पहले से चिन्हित थे उन्हें अंदर नहीं आने दिया गया) उसके बाद अंदर लगे डेस्क पर सभी साथियों के मोबाइल और सामान जमा करा लिया गया (जो की पहले कभी किसी मीटिंग में नहीं हुआ).

9:35 पर सुधीर भारद्वाज और दिलीप पाण्डेय मुझे एक अलग कक्ष में ले गए (मेरे साथ एक अन्य साथी जोकि एनसी मेंबर थे) उन्हें भी अंदर ले जाया गया. मेरे आगे एक कागज रख दिया गया, जिस पर सुधीर जी ने दस्तखत किये और मुझसे करने को कहा. मेरे सामने प्रीति शर्मा मेनन और गोपाल रॉय बैठे थे. मैंने पढ़ने की इच्छा जताई, मुझे कहा गया क्या जरूरत है.गोपाल रॉय जी ने कहा कि हम पर भरोसा नहीं है क्या, मैंने फिर भी उसे पढ़ा.

उस पर लिखा था रेजुलेशन

प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, अजीत झा, प्रोफेसर आनंद कुमार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाल दिया जाए. मैं चौंक गया. मैंने तुरंत पूछा ये क्या है मीटिंग से पहले रेजुलेशन पर दस्तखत कैसे ले सकते हैं आप? मैंने दस्तखत करने से मना कर दिया और बाहर आ गया. मेरे साथ दूसरे साथी भी बाहर आ गए.

उसके बाद संजय सिंह को जैसे ही पता लगा कि मैंने दस्तखत करने से मना कर दिया है तो शायद रायता फैलने के डर से मुझे करीव 15 मिनट तक बात करके पटाया भी और कहा कि मेरी औकात क्या है? यह कहकर धमकाया गया, लालच दिया गया.

उत्तर प्रदेश का संयोजक बनाने और मुरादाबाद से टिकट देने का लालच भी दिया. खैर, मैंने कोई जवाब नहीं दिया, तो मीटिंग रूम में मेरे पीछे 3-4 बाउंसर अलग से खड़े कर दिए गए.

फिर शुरू हुई मीटिंग 

अरविंद जी ने अपना भाषण देना शुरू किया. दिल्ली की जीत से शुरू करके प्रशांत और योगेन्द्र पर ले आये, फिर शांति भूषण जी का नाम लिए बगैर बोले, किसी ने मुझे किरण बेदी अजय माकन से भी निचले पायदान पर रखा, क्या उसे पार्टी में रहना चाहिए.

अकल्पनीय, मर्यादित दिखने वाले आप विधायक अचानक से खड़े हो गए और गद्दारों को बाहर निकालो कहने लगे. नारे लगाने लगे. नितिन त्यागी और कपिल मिश्र उन्हें लीड कर रहे थे. उठा कर बाहर फ़ेंक दो, कहकर शांति जी की तरफ दौड़े. नाटक जैसा करके बाउंसर ने उन्हें रुकने की कोशिश की और अरविन्द देखते रहे.

अरविंद ने बात आगे बड़ाई और कहा कि मैं इनके साथ काम नहीं कर सकता, इसलिए या तो मुझे या इन लोगों को को चुन लो, मैं अपना इस्तीफा पार्टी के सभी पदों से देता हूँ. और एक मीटिंग में जाने का कहकर तुरंत निकल गए.

उनके जाते ही गोपाल राय ने अध्यक्षता ग्रहण की और मनीष जी ने बताया कि योगेन्द्र-प्रशांत, आनंद और अजित झा को नेशनल कॉउंसिल से निकाला जाये. तुरंत एक साथी जो मेरे करीब ही बैठे थे, उठकर बोले कि योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को भी सफाई देने का मौका मिलना चाहिए, हम उन्हें सुनना चाहते हैं.

अकल्पनीय, उनके इतना कहते ही बगल में बैठे दुर्गेश ने बाउंसर को इशारा किया और उन्होंने उन्हें जिनका नाम रेहमान चौधरी था, उन्हें जबरदस्ती उठाकर बाहर ले गए. मैंने विरोध किया. बाहर ले जाकर उन्हें लात-घूंसे मारे गए और वहीँ बैठने को कहा गया. योगेन्द्र, पंकज पुष्कर, मैं और अन्य साथियों ने कहा कि ये गलत है. आप ऐसा नहीं कर सकते. उसके बाद उन्हें अंदर लिया गया. इस दौरान बिना सुने (पूर्व में ही दस्तखत करे हुए पन्नों से) रेजुलेशन लाया गया.

वहां मौजूद बाउंसर्स ने दो दो हाथ खड़े कर दिए और उनकी गिनती होने लगी. विधायकों ने हाथ खड़े कर दिए, जबकि केवल फाउंडर मेंबर्स ही वोट दे सकते थे, यह सब देखा न गया.

विश्वास करिए मैं अरविंद के लिए वोट देने गया था, लेकिन परिस्थितियों को देखकर मुझे अपना फैसला बदलना पड़ा और अचानक मुझे योगेन्द्र और प्रशांत, अजीत झा और आनंद कुमार बेहतर लगने लगे और मैं उनके साथ बाहर आ गया. बाहर आने वालों में हमारे एमपी डॉ गांधी और एमएलए पंकज पुष्कर भी शामिल थे.

(स्पेशल कवरेज न्यूज डॉट इन से साभार)

NCR Khabar News Desk

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