तिलक’ में दिखी नाईक-आजम की ‘दुश्मनी

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पौत्र तेज प्रताप सिंह के तिलकोत्सव में सियासत के कई विरोधी आमने-सामने हुए। लोगों के सामने इन लोगों ने एक-दूसरे के लिए तल्खी जाहिर भी नहीं होनी दी। इनके दिल नहीं भी मिलते थे पर हाथ जरूर मिले।
मगर कैबिनेट मंत्री आजम खां ने न चाहते हुए भी राज्यपाल राम नाईक के लिए अपनी भावनाएं लोगों के सामने जाहिर कर दीं।
दरअसल सपा परिवार से गहरे संबंध होने के बाद भी आजम खां दोपहर तक तिलकोत्सव कार्यक्रम में नजर नहीं आए। उनकी गैरमौजूदगी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं रहीं।
लोग अनुमान लगा रहे थे कि आजम के वहां मौजूद न होने की वजह राज्यपाल राम नाईक हैं। इस बात उस वक्त पुख्ता हो गई जब राज्यपाल के जाने के बाद करीब चार बजे आजम वहां पहुंचे।
समारोह के दौरान आजम के करीबी लोगों से जब उनके बारे में पूछा गया तो वे भी उनके बारे में सही जवाब नहीं दे पा रह थे।
मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल राम नाईक और अमर सिंह को देखकर लोगों को लग रहा था कि शायद आजम खां नहीं आएंगे।
स्वागत सत्कार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल राम नाईक और अमर सिंह रवाना हो गए। इसके बाद शाम करीब चार बजे आजम खां सैफई पहुंचे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आजम खां की अगवानी की।री से आने का सवाल आया तो आजम खां ने कहा कि किसी कार्यक्रम में बिजी हो जाने से वे लेट हो गए। यहां तो आना ही था।
खैर आजम खां ने देर से आने की जो भी वजह दी हो लेकिन लोगों में इस बात की चर्चा रही कि राज्यपाल की मौजूदगी ही उनकी गैरमौजूदगी की वजह बनी।
बताते चलें कि आजम खां और राज्यपाल के बीच इन दिन काफी तनातनी चल रही है। गाहेबगाहे आजम खां पर महामहिम के कटाक्ष और आजम खां के पलटवार इन दिन सुर्खियों में हैं।
हाल ही में आजम खां ने राज्यपाल राम नाईक को इस संबंध में लंबा-चौड़ा पत्र भी लिखा था। इस पत्र में आजम ने कहा था कि महामहिम के उन पर निशाना साधने से वह और मुस्लिम कौम असुरक्षित महसूस कर रही है।
हालांकि राज्यपाल ने आजम के पत्र पर बेहद नाराजगी जाहिर की थी क्योंकि आजम ने ये चिट्ठी राज्यपाल से पहले मीडिया को सौंप दी थी।
दोनों के बीच बात इतनी बढ़ गई कि आखिर में आजम ने राज्यपाल की शिकायत राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तक से करने की बात कही।