बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बहुमत सिद्घ करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। विधानसभा की बैठक से पहले उन्होंने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें इस्तीफा सौंप दिया। मांझी के इस्तीफे से भाजपा को झटका लगा है, हालांकि जदयू में जश्न का माहौल है।
माना जा रहा है कि मांझी के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार को सरकार बनाने का मौका मिल सकता है। लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश ने ही इस्तीफा देकर जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि बतौर मुख्यमंत्री मांझी ने कई ऐसे फैसले लिए और बयान दिए, जिससे जदयू नाराज हो गई। मांझी और नीतीश के रिश्ते भी तल्ख होते गए।
कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ने के बाद जदयू ने मांझी को हटाकर नीतीश को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। हालांकि मांझी ने इस्तीफा देने से मना कर दिया, जिसके बाद बिहार की सियासत उलझती चली गई।इस्तीफे से इनकार के बाद जदयू ने मांझी को पार्टी से बाहर कर दिया। मांझी समर्थक विधायकों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। नीतीश ने राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात कर सरकार बनाने की पेशकश की, हालांकि राज्यपाल ने मांझी को बहुमत सिद्घ करने के लिए 20 फरवरी तक का मौका दिया था।
मांझी ने बहुमत जुटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। भाजपा ने गुरुवार को मांझी का विधानसभा में समर्थन करने की घोषणा की थी। विधानसभा का गणित: 243 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 233 सदस्य हैं, ऐसे में जादुई आंकड़े के लिए 117 विधायकों के समर्थन की जरूरत थी। जदयू के पास स्पीकर समेत 110 विधायक हैं। राजद के 24 विधायक हैं। कांग्रेस के 5 और भाकपा का एक विधायक है।मांझी के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार ने कहा है कि बजट सत्र से पहले ये फैसला हो जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि जदयू शुरु से ही यह कह रही थी कि बजट सत्र से पहले सरकार पर फैसला हो जाना चाहिए था। राज्यपाल के अभिभाषण से पहले ऐसा नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि बीजेपी के गेमप्लान की पोल खुल गई है।
भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मांझी का इस्तीफा जदयू का आंतरिक मामला है। भाजपा का इससे कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा न्याय के साथ खड़ी रही है, हमने महादलित समाज के एक व्यक्ति का साथ दिया और अपनी जिम्मेदारी निभाई।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि मांझी को नई सरकार बनने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए।इस्तीफे के बाद हुई अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में मांझी ने कहा कि आज हमें विधानसभा का जो सीटींग प्लान दिया गया उसमें हमारे विधायकों का नाम नहीं था। मुख्यमंत्री को चीफ व्हिप रखने का अधिकार है, लेकिन उसे वह अधिकार नहीं दिया गया। नेता प्रतिपक्ष के रूप में नंदकिशोर को भी मान्यता नहीं दी गई। मांझी ने कहा कि ऐसे फैसले से हमें विधानभा अध्यक्ष की नीयत पर शक हुआ।
मांझी ने कहा कि हमारे विधायकों को जान से मारने की धमकी दी गई। उन्होंने कहा कि हमने विधानसभा में गुप्त मतदान की इजाजत मांगी थी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने हमारी बात नहीं सुनी। ऐसी बातों को देखते हुए हमने राज्यपाल से कहा कि विधानसभा में माहौल खराब होने की आशंका है, इसलिए हम इस्तीफा दे रहे हैं।
मांझी ने कहा कि हमारे पास आज भी बहुमत है, लेकिन विधासभा अध्यक्ष के आचरण पर हमें भरोसा नहीं है। मांझी ने कहा कि राज्यपाल के विवेक पर है कि वे जिसे चाहें सरकार बनाने का मौका दें।
उन्होंने कहा मुझे इससे घुटन होने लगी। मैंने सोचा कि मैं अपने विवेक से काम करूंगा, लेकिन नीतीश के आसपास के लोगों को इससे दिक्कत होने लगी। उन्होंने मुझे हटाने की कोशिश की।