तो अन्ना फिर आ रहे हैं। 24 फरबरी से धरने की घोषणा है। सुना है मेधा पाटेकर भी उनके साथ होंगी। मेधा जी ने आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ा, जमानत जब्त हो गई। ऐसे और लोग भी होंगे जो पहले आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ चुके होंगे, उसमें काम कर चुके होंगे। आम आदमी पार्टी बनने के बाद अन्ना की टीम के काफी सदस्य इधर आ गए थे। फिर वे आप से निराशा प्रकट करते हुए अन्ना के पास गए। कुछ के पास असमंजस की स्थिति थी। जो आप में नहीं वे करें क्या यह भी प्रश्न उनके सामने रहा है।
अब अन्ना नरेन्द्र मोदी सरकार के विरुद्ध अनशन धरना करेंगे तो तत्काल उनके लिए सक्रिय होने का अवसर होगा। देखते हैं कैसा नजरा बनता है। आप की सरकार दिल्ली में होगी तो यकीनन उसके लोगोें का अनुकूल रवैया अन्ना के प्रति होगा। हालांकि रालेगण सिद्धि में लोकपाल कानून बनते समय अन्ना ने जब अनशन किया था गोपाल राय को वहां से निकाल दिया था। कुमार विश्वास गए थे। उनके खिलाफ नारे लगे और वे भी वापस आए। फिर शब्दों की धींगामुश्ती हुई।
अब अन्ना ने यह भी कह दिया है कि दिल्ली में बेदी नहीं, मोदी हारे हैं। कालाधन वापस लाने तथा भूमि अधिग्रहण अन्ना का मुख्य मुद्दा है। यह भी संभव है कि जिन नेताओं ने पहले अन्ना के खिलाफ कठोर शब्दों का प्रयोग किया, वो भी इस समय उनके समर्थन में बोलें। यह बात अलग है कि अन्ना के मंच पर वे शायद ही आएं और अन्ना उन्हें स्वीकार करें। किंतु एक बात साफ है कि अगर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता दूर हो जाएं तो अन्ना के पास लोगों की कमी रहेगी।
तो दिल्ली में एक ओर आम आदमी पार्टी की सरकार, दूसरी ओर अन्ना का धरना और तीसरी ओर मोदी सरकार का बजट सत्र ……..। अगर अन्ना अपने धरने की योजना पर कायम रहते हैं तो फिर हो जाइए 24 घंटे दिल्ली को सुनन देखने के लिए।
अवधेश कुमार
वरिष्ठ पत्रकार