मुझे तो पूरा विश्वास है कि भूमि अधिग्रहण कानून की पेचीदगियों से अन्ना पूरी तरफ से वाकिफ भी नहीं होंगे l अन्ना की अपनी सीमितताएँ हैं , उनके पास अपनी कोई सोच या कोई स्पष्ट -विजन नहीं है और इसका ही फायदा अब तक अन्ना को इस्तेमाल करने वालों ने भरपूर उठाया है l दो साल पहले अन्ना अपनी रैली के सिलसिले में पटना आए थे और लोकनायक जयप्रकाश -स्मृति चरखा-समिति में रुके थे अगले दिन पटना के गाँधी मैदान में उनकी रैली थी l टीम अन्ना में बिखराव की शुरुआत हो चुकी थी या दूसरे शब्दों में कहूँ तो बिखराव की बुनियाद रखी जा चुकी थी , उस समय अन्ना के इर्द-गिर्द रहनेवालों , कर्ता-धर्ता की भूमिका में जेनरल वी.के.सिंह और विवादित पत्रकार संतोष भारतीय प्रमुख थे l रैली की पूर्व -संध्या पर मीडिया का जमावड़ा अन्ना से बाईट्स लेने के लिए आतुर था , अन्ना कुछ सवालों का जवाब भी दे रहे थे और कुछ असहज सवालों (जिनके बार में शायद अन्ना को उनकी फीड-बैक टीम ने अपडेट नहीं किया था या अन्ना को वैसे मुद्दों -सवालों की कोई जानकारी नहीं थी ) को नजरंदाज भी कर रहे थे l
अन्ना के नजदीक मौजूद सहयोगियों में ज़्यादातर इस फिराक में ही थे कि सवालों के सिलसिले को किसी तरह से जल्द से जल्द टाला जाए , वो बार -बार दुहरा रहे थे कि अब अन्ना के भोजन व विश्राम का समय हो गया है ‘आप लोग जाइए ‘ l मैं भी भीड़ के कम होने का इंतजार इस फिराक में कर रहा था कि अपने एक-दो सवाल इत्मीनान से पूछ पाऊँ , मौका मिलते ही मैंने पहला सवाल पूछा “अन्ना जन-आंदोलन का प्रभाव उसकी व्यापकता और सक्रिय जन-भागीदारी से सुनिश्चित होता है , आपकी मुहिम को भी शुरआती दिनों में ऐसी सफलता मिलती तो दिखाई दी लेकिन बाद के दिनों में आपका आंदोलन सिर्फ दिल्ली तक सिमटता दिखा और दिख रहा है और लोगों का मोह-भंग भी होता दिख रहा है ऐसे में पूरे देश में कैसे बदलाव लाया जा सकता है और अगर आप पूरी व्यवस्था और लोगों की सोच बदलने की बात करते हैं तो पूरे देश में घर-घर में आपकी आवाज पहुँचे और स्वेच्छा से देश के हरेक कोने के गाँव-गाँव से लोग इससे जुडें इसके लिए आपकी क्या योजना है ??” मेरा सवाल सुनने के बाद अन्ना काफी देर तक मौन रहे और अचानक ही उनके चेहरे पर असहज भाव उभरने लगे और अपने सहयोगियों की तरफ देखने लगे ,
इतने में एक सहयोगी ने अन्ना के समीप आ कर उनके कान में कुछ कहा और अन्ना ये कहते हुए उठ गए कि आप मीडिया -बंधुओं के शेष सवालों का जवाब जेनरल साहेब देंगे मेरे विश्राम का समय हो गया है , आप सबों को धन्यवाद ॥शुभ-रात्रि ll ” तब तक मैं भी ‘सब समझ चुका था’ और अन्ना का अभिवादन (प्रणाम) करते हुए वहाँ से चल पड़ा …..
आलोक कुमार