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बहस की चुनौती माकन को स्‍वीकार, बेदी को काम में यकीन

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा सार्वजनिक बहस की चुनौती को जहां कांग्रेस नेता अजय माकन ने स्वीकार कर लिया है, वहीं किरण बेदी ने कहा है कि केजरीवाल जीतकर आएं तो हम विधानसभा में बहस को तैयार हैं। केजरीवाल ने 2013 के विधानसभा चुनाव में भी दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी बहस की चुनौती दी थी, हालांकि उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।

केजरीवाल के न्योते का जवाब देते हुए बेदी ने कहा कि मुझे उनकी चुनौती मंजूर है। वह जीत कर आएंगे तो हम विधानसभा बहस करेंगे। उन्होंने कहा कि अरविंद सिर्फ सड़क पर बहस में विश्वास करते हैं, मैं डिलिवरी में विश्वास करती हूं। ट्विटर पर ब्लॉक करने के सवाल पर बेदी ने कहा कि वह बहुत परेशान दिख रहे हैं, मैंने उन्हें सवा साल पहले ही ब्लॉक किया था जब उन्होंने कहा था कि मैं अराजकतावादी हूं। मैंने कई अन्य लोगों को भी ब्लॉक किया है, जो नकारात्मकता फैलाते हैं।

मंगलवार को सुबह केजरीवाल ने ट्विटर पर कहा, किरण जी, मैं आपको ट्विटर पर फॉलो करता था, लेकिन अब आपने मुझे ब्लॉक कर दिया है। कृपा करके मुझे अनब्लॉक कर दें। उन्होंने ट्वीट में आगे कहा, मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार होने पर आपको बधाई। मैं आपको सार्वजनिक बहस के लिए न्योता देता हूं, जिसे कोई तटस्थ व्यक्ति होस्ट करे और सभी जगह इसका प्रसारण हो।

इससे पहले केजरीवाल ने सोमवार को भी किरण बेदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बेदी अगर भाजपा की फंडिंग को पारदर्शी बना पाईं तो वह उनके साथ होंगे। वहीं, बेदी द्वारा दिल्ली के विकास को लेकर बताए गए फार्मूले पर केजरीवाल ने कहा कि फार्मूला नहीं, जनता सस्ती बिजली व पानी चाहती है। फार्मूलों से दिल्ली का भला नहीं होगा।केजरीवाल ने यह बातें एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार के दौरान कहीं।

उन्होंने कहा कि किरण बेदी ‘आप’ के लिए नहीं, भाजपा के लिए चुनौती हैं। बेदी अगर भाजपा की फंडिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की कोशिश करें, पार्टी को आरटीआइ के दायरे में लाएं, निहालचंद जैसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाएं तो वह उनके साथ होंगे। जनता बेदी को तभी एक्शन मोड में देखेगी जब वह भाजपा के अंदर सफाई अभियान चला सकें। अभी तो वैसा ही है, जैसे पहले कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का चेहरा आगे करके देश को लूटा। भाजपा किरण बेदी के सहारे वही काम करेगी।

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली का चुनाव रिश्वतखोरी के पैसों से नहीं, बल्कि ईमानदारी से जुटाई गई रकम से लड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आप ने दिल्ली की सभी समस्याओं को दूर करने के लिए विस्तृत ब्लू प्रिंट तैयार किया है। आप की सरकार बनने पर तयशुदा समय के भीतर समाधान दिया जाएगा। केजरीवाल ने पार्टी के भीतर मतभेदों को लेकर उठ रहे सवालों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह मीडिया का प्रचार है। दो दिन कोई साथ नहीं दिखाई देता तो उसे नाराज बताया जाता है।

केजरीवाल ने सवाल किया कि मेरी पत्नी मेरे साथ नहीं दिखती, बच्चे साथ नहीं होते लेकिन हम सब आपस में बहुत प्यार करते हैं। इसी तरह हमारी पार्टी के भीतर भी सबकुछ ठीक है।

आए थे हरि भजन को, औटन लगे कपास

बाहरी दिल्ली [जासं]। ‘आए थे हरि भजन को, औटन लगे कपास’ यह कहावत आप नेता आशुतोष के साथ उस समय चरितार्थ हो गई जब उन्हें एक सभा में बंधक बना लिया गया। रोहिणी के टेक्निया इंस्टीट्यूट में आरडब्ल्यूए से वार्ता के लिए रविवार को देर शाम को आयोजित सभा में यह हंगामा उनकी ही पार्टी के पूर्व विधायक राजेश गर्ग ने किया। वे अपने साथ करीब 100 छात्रों को लेकर सभा में पहुंचे थे।

गर्ग ने वहां पार्टी द्वारा टिकट न दिए जाने का अपना दर्द बयां किया। उन्होंने मंच से आशुतोष को खूब खरीखोटी सुनाईं और उन्हें आधे घंटे तक बंधक बनाए रखा। जब आशुतोष ने भागने की कोशिश की तो हॉल के गेट बंद कर दिए गए। किसी तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें पिछले दरवाजे से दीवार से कुदाकर भगाया।

दरअसल, सभा की शुरुआत में जब आशुतोष ने राजेश गर्ग के त्याग की तारीफ की और कहा कि उन्होंने खुद ही टिकट वापस कर दी है तो राजेश गर्ग ने उन्हें घेर लिया और उन्हें ही जिम्मेदार ठहराने लगे। ऐसे में जब उन्होंने सभा से बाहर जाना चाहा तो उन्हें जाने नहीं दिया गया। तब आप नेता आशुतोष पिछले दरवाजे से बाहर निकले। उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर लोहे की नुकीली ग्रिल को फांदकर भागना पड़ा।

इससे पहले जब सभा में पूर्व विधायक राजेश गर्ग पहुंचे तो मंच पर उन्हें स्थान नहीं दिया गया, लेकिन टिकट ठुकराये जाने पर उनके त्याग की झूठी तारीफ से भी राजेश गर्ग की तकलीफ कम नहीं हो सकी। तब उन्होंने मंच से ही आशुतोष और आम आदमी पार्टी के स्वराज को लेकर खूब खरी खोटी सुनाईं। हालांकि बीच-बीच में राजेश गर्ग ने छात्रों की कुछ समस्याओं को भी उठाया, लेकिन दूसरी तरफ आशुतोष को धमका रहे थे कि जब तक उन्हें उनके सवालों का जवाब नहीं मिल जाता आशुतोष को जाने नहीं दिया जाएगा। इसके लिए कुछ भी करना पड़े। इस दौरान आशुतोष चुपचाप उनकी बातें सुनते रहे।

NCR Khabar News Desk

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