
यौन शोषण के मामले में जेल में बंद आसाराम को तगड़ा झटका लगा है। खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत की अपील करने वाले आसाराम की यह उम्मीद भी टूट गई है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आसाराम की बीमारी दवाइयों से ठीक हो सकती है और उन्हें सर्जरी की कोई जरूरत नहीं है। एम्स ने अपनी मेडिकल रिपोर्ट सोमवार को सर्वोच्च अदालत को सौंपी। मेडिकल बोर्ड का गठन अदालत के आदेश पर किया गया था।
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मेडिकल रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा कि एम्स के छह डॉक्टरों की टीम के मुताबिक, फिलहाल आसाराम को सर्जरी की जरूरत नहीं है। उनका इलाज ओपीडी में हो सकता है। ऐसे में अब बचता ही क्या है।
आसाराम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने अदालत से कहा कि वह मेडिकल रिपोर्ट पर पूरी तरह से गौर करने के बाद जवाब देंगे। इसके बाद अदालत ने सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने रजिस्ट्री को आसाराम समेत सभी पक्षों को मेडिकल रिपोर्ट की प्रति मुहैया कराने का निर्देश दिया है।
आसाराम ने चिकित्सकीय आधार पर जमानत याचिका दाखिल की थी। नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में जोधपुर की अदालत ने आसाराम पर बलात्कार, आपराधिक षड्यंत्र सहित अन्य अपराधों के आरोप निर्धारित किए हैं। गत हफ्ते राजस्थान पुलिस कई तरह के टेस्ट कराने के लिए आसाराम को लेकर एम्स आई थी।जोधपुर न्यायालय में सुनवाई के बाद सोमवार को पुलिस को आसाराम को जेल ले जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। सुनवाई के बाद न्यायालय के बाहर समर्थकों ने आसाराम को ले जाती पुलिस के वाहन रोक दिए।
हंगामा करते समर्थकों को पुलिस ने लाठीचार्ज कर हटाया और तेजी से जेल की तरफ वाहन दौड़ाकर समर्थकों से पीछा छुड़ाया।
पूनम होने के कारण आसाराम की झलक पाने के लिए जोधपुर में आसाराम के समर्थक बड़ी संख्या में एकत्र हो गए।
समर्थकों की संख्या देख पुलिस ने अपनी योजना बदली और रास्ता बदल कर जेल से न्यायालय ले गई। झलक नहीं मिलने के कारण समर्थक नाराज हो गए और न्यायालय के पास इक्ट्ठे हो गए।
सुनवाई के बाद दोपहर तीन बजे आसाराम को जेल से जाने के लिए वाहन में बैठाया, समर्थक वाहन के आगे खड़े हो गए। कुछ समर्थकों ने वाहन पर चढऩे का प्रयास भी किया। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया।