
आयकर विभाग नोएडा अथॉरिटी के इंजीनियर यादव सिंह सिंडीकेट पर सोमवार से शिकंजा कसने की प्रक्रिया शुरू करेगा। इस दौरान यादव सिंह और 40 कंपनियों के डायरेक्टर के 13 लाकर्स को भी खोला जाएगा। इस लाकर्स के खुलने से भ्रष्टाचार का नया जिन्न बाहर निकल सकता है।
आयकर अफसरों का मानना कि जिन दो डायरेक्टर ने 50 करोड़ की काली कमाई सरेंडर की उसके दस्तावेज लाकर्स से बरामद हो सकते हैं।
आयकर महानिदेशक (जांच) कृष्णा सैनी ने बताया कि यादव सिंह सिंडीकेट के 20 ठिकानों से जब्त किए गए अभिलेखों को सूचीबद्ध करने के बाद सोमवार से गहन जांच की प्रक्रिया शुरू होगी। इस जांच में जो दायरे में आएगा उसको तलब कर पूछतांछ की जाएगी।
वहीं आयकर निदेशक (जांच) अशोक कुमार त्रिपाठी के मुताबिक यादव सिंह उसकी पत्नी कुसुम लता और डायरेक्टर राजेंद्र मनोचा, नम्रता मनोचा, अनिल पेशावरी के ठिकानों से नोएडा एवं गाजियाबाद की आधा दर्जन बैंक में 13 लाकर्स का विवरण मिलने के बाद 27 नवंबर को सील कर दिया गया था।जानकारों के अनुसार आयकर विभाग ने यादव सिंह से पूछताछ के लिए करीब 100 सवाल तैयार कर लिए हैं। इन सवालों के जवाब यादव सिंह से नोटिस के माध्यम से मांगा जाएगा।
किसी भी जवाब से यदि जांच एजेंसी संतुष्ट नहीं होती है तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। आयकर विभाग अपने स्तर से यादव सिंह को तो घेर ही रहा है, साथ में राज्य सरकार से यह ब्योरा तलब कर रहा है कि यादव सिंह ने कब नौकरी जॉइन की और उसे अब तक कितने रुपये वेतन में दिए गए हैं। एजेंसियां उसके प्रमोशन के बारे में भी जानकारी जुटा रही हैं।
सभी को सोमवार सुबह यादव सिंह के लॉकर्स के खुलने का खासा इंतजार है। निदेशक का अनुमान है कि इन लाकर्स में से कैश, गहने, निवेश और कारोबारी अभिलेख निकल सकते हैं।
वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कहना है कि यादव सिंह के घर की दीवारों की भी इंच-इंच जांच होनी चाहिए। उसकी आड़ में मलाई सपा ने काटी हो या बीएसपी ने, मुख्यमंत्री में जरा सी भी ईमानदारी है, तो वे इस मामले में केंद्र से सीबीआई जांच कराने की सिफारिश करें।