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रायपुर लाया गया नक्सली हमले में शहीद जवानों का शव

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह रायपुर पहुंच गए हैं। वे यहां हमले में घायल हुए सभी जवानों से मिलेंगे। उधर हमले में शहीद 14 में से 12 जवानों के शव ही मिल पाए हैं, जिन्हें चिंतागुफा कैंप से रायपुर लाया गया है। इसके अलावा दो शवों की तलाश जारी है। सीआरपीएफ की टुकड़ी सर्चिंग पर निकली है। ड्रोन से भी जंगल पर नजर रखी जा रही है।

इसके अलावा नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त ऑपरेशन पर निकले सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और डीएफ के जवानों की तीन पार्टियां सोमवार देर रात तक जंगलों में फंसी थीं। पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, लगभग 60 जवान जंगलों से वापस कैंप तक नहीं पहुंच पाए हैं। हमले में शहीद सभी 14 जवान नौ राज्यों के रहने वाले थे। ये हैं उनके नाम।

बी.एस. वर्मा – कानपुर (उत्तर प्रदेश)

राजेश कपूरिया- झुनझुनु (राजस्थान)

हेमराज शर्मा- नागौर (राजस्थान)

कुलदीप पुनिया- गाजियाबाद (उत्तर प्रेदश)

पंचुराम- नागौर (राजस्थान)

दीपक कुमार- सांबा (जम्मू कश्मीर)

राधेश्याम राम- भोजपुर (बिहार)

मोहम्मद शाफी भट्ट – बारमूला (जम्मू कश्मीर)

पवार उमाजी शिवजी- संगली (महाराष्ट्र)

पद्मलोचन माझी- बरगंढ़ (उड़ीसा)

कुंचपु राम मोहन – अनंतपुर (आंध्र प्रदेश)

मुकेश कुमार – इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

गौरीशंकर सिंह- बोकारो (झारखंड)

मनीष सिंह- बालाघाट (मध्य प्रदेश)

एडीजी नक्सल ऑपरेशन आरके विज के अनुसार, छत्तीसगढ़ गठन के बाद नक्सली हमले में एक हजार से ज्यादा जवान शहीद हुए हैं। इसमें 595 छत्तीसगढ़ पुलिस व सहायक बल और 405 केन्द्रीय बलों के जांबाज हैं। छत्तीसगढ़ के रहने वाले 368 (जिला पुलिस बल के 243 एवं छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, एसटीएफ सहित 125) जवान शहीद हुए। वहीं 327 शहादत सीआरपीएफ के जवानों ने दी है। विशेष पुलिस अधिकारी भी पीछे नहीं रहे, इनकी संख्या भी 194 है।

किसी एक घटना में सर्वाधिक सुरक्षाकर्मी ताड़मेटला की घटना में सीआरपीएफ के 75 एवं छत्तीसगढ़ पुलिस के एक जवान शहीद हुए। मार्च 2007 में रानीबोदली में विशेष पुलिस अधिकारी सहित 55 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। पिछले करीब 14 वर्षों में 39 ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें 5 या उससे अधिक सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। वर्ष 2007 में सबसे ज्यादा 200 सुरक्षाकर्मी मारे गए। वर्ष 2009 में 125 और वर्ष 2010 में 170 जवान शहीद हुए।

अब तक की बड़ी नक्सली वारदात

– सितम्बर 2005 में गंगालूर रोड पर एंटी-लैंडमाइन वाहन के ब्लास्ट करने से 23 जवान शहीद हुए थे।

– जुलाई 2007 में एर्राबोर अंतर्गत उरपलमेटा एम्बुश में 23 सुरक्षाकर्मी मारे गए।

– अगस्त 2007 में दारमेटला में मुठभेड़ में थानेदार सहित 12 जवान शहीद हुए।

-12 जुलाई 2009 को जिला राजनांदगांव में एम्बुश (ब्लास्ट के बाद हुई फायरिंग) में पुलिस अधीक्षक सहित 29 जवान शहीद हुए। इसी प्रकार नारायणपुर के घौडाई क्षेत्र अंतर्गत कोशलनार में 27 सुरक्षाकर्मी एम्बुश में मारे गए थे।

– 6 अप्रैल 2010 को ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए।

– 11 मार्च 2014 को टाहकवाड़ा में सीआरपीएफ के 16 जवान शहीद हुए।

– नवंबर में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के हेलिकॉप्टर पर निशाना साधा था, जिसमें सीआरपीएफ के आईजी एचएस संधू सर्चिंग ऑपरेशन पर निकल रहे थे। इस हमले में संधू के गनमैन को नक्सलियों की गोली लगी थी और सात जवान घायल हो गए थे।

मोर्चे को छोड़कर भाग गए थे जवान

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में तैनात सुरक्षा बल के 18 जवानों को नक्सलियों से मुठभेड़ के दैरान पीठ दिखाकर भागने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। इनमें से 17 जवान सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स की 80वीं बटालियन के हैं, जबकि एक जवान छत्तीसगढ़ पुलिस का है जो तोंगपाल थाने में तैनात है।

यह निलंबन 11 मार्च को सुकमा जिले के तहकवाड़ा की घटना की जांच के बाद लिया गया है। इसमें माओवादियों के हमले में सुरक्षा बल के 15 जवान मारे गए थे। मारे गए जवानों में 11 सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन के थे, जबकि चार जवान जिला पुलिस बल के थे। इसके अलावा एक आम नागरिक की भी मौत हुई थी।

NCR Khabar News Desk

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