राम मंदिर पर PM मोदी से मिलेंगे हाशिम अंसारी?

बाबरी मस्जिद मामले की पैरोकारी बेटे को सौंपने वाले हाशिम अंसारी के पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बयान पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा अगर हाशिम मिलना चाहते हैं तो उनके लिए प्रधानमंत्री के दरवाजे खुले हुए हैं। प्रधानमंत्री के दरवाजे हमेशा किसी से भी मुलाकात करने के लिए खुले हुए हैं। कोई भी उनसे मुलाकात कर सकता है।
हालांकि रामलला की आजादी वाले हाशिम के बयान पर राजनाथ सिंह सिर्फ मुस्कुराए और धन्यवाद कह आगे बढ़ गए।
वहीं श्रीराम जन्मभूमि न्यास के कार्याध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर निर्माण की पहल संसद में कानून बनाकर करें। कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने पर हम लोगों को श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण का विश्वास है। मोदी अभी राष्ट्र के काम में व्यस्त हैं स्थिर हो जाएंगे तो शीघ्र ही संत-धर्माचार्य उनसे मिल कर मंदिर निर्माण के लिए आग्रह करेंगे।
महंत नृत्यगोपाल दास ने छह दिसंबर पर अपने आवास पर मीडिया कर्मियों से यह बातें कहीं। यह पूछे जाने पर कि सरकार के पांच साल के कार्यकाल में आखिर कब तो उन्होंने कहा कि पांच साल नहीं एक साल के कार्यकाल के भीतर ही संत-धर्माचार्य मोदी से मिल इसके लिए आग्रह करेंगे।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को जनता और सभी ने इसीलिए भेजा है कि जल्द से जल्द दिव्य राम मंदिर का निर्माण करें। बाबरी मस्जिद के मुद्दई मो. हाशिम अंसारी के पैरोकारी न करने के आए बयान पर कहा कि हाशिम को हम लोग धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि सभी मुसलमानों को भी चाहिए कि मिल कर राम मंदिर निर्माण को आगे आएं।
हालांकि अयोध्या मामले पर सपा सरकार के मंत्री और वरिष्ठ नेता आजम खान ने मामले पर कुछ अलग ही राय रखी है।प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खां ने कहा है कि हाशिम अंसारी के अयोध्या से संबंधित मुकदमे की पैरवी न करने से कानूनी प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में है और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी पार्टी है। उन्होंने कहा कि पता नहीं हाशिम अंसारी ने ऐसी बात क्यों कही है। शायद वो उम्रदराज हो गए हैं।
सपा कार्यालय पर शनिवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान आजम खां ने कहा कि हाशिम अंसारी अब बातचीत से मामले का हल निकलाने की बात कर रहे हैं। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। इसका हल किसी राजनीतिक दल या नेता से बातचीत करके नहीं निकाला जा सकता है। अब सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। किसी के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है।
आजम ने कहा कुछ लोग ऐसे हैं जो इस मुद्दे को लटकाए रखना चाहते हैं, ताकि उनके वोट बैंक की राजनीति चलती रही। ऐसे लोगों का लक्ष्य 2017 का यूपी का विधानसभा चुनाव है।
आजम खां ने कहा कि 6 दिसंबर का दिन इतिहास के पन्ने में काले दिन के रूप में दर्ज है। मजहबी लोग हिंसा में यकीन नहीं रखते हैं। हाईकोर्ट के स्टे के बावजूद संख्या बल के आधार पर बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया गया।
देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मूकदर्शक बने रहे। 6 दिसंबर 1992 को यदि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान ले लिया होता तो शायद कल्याण सिंह महामहिम के सम्मान से वंचित रह जाते। शायद हाशिम अंसारी की मायूसी की वजह भी यही है।बाबरी विध्वंस की बरसी पर प्रकाश चौक पर शौर्य दिवस मनाकर आतिशबाजी कर रहे शिवसेना कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी। इसमें दो शिवसेना कार्यकर्ता सचिन प्रजापति और आकाश वर्मा घायल हो गए, जिन्हें जिला अस्पताल में उपचार दिलाया गया।
विरोध में शिवसैनिकों ने सीओ का घेराव कर हंगामा किया। पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का आश्वासन मिलने पर कार्यकर्ता शांत हुए।
बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर वामपंथी दलों ने शनिवार को विधानभवन के सामने प्रदर्शन कर फासीवाद का पुतला फूंका। उन्होंने अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने के दोषियों को सजा देने और घृणित सांप्रदायिक प्रचार पर रोक लगाने की मांग की।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा (माले), एसयूसीआई और फॉरवर्ड ब्लॉक के कार्यकर्ता विधानभवन के सामने एकत्र होकर जुलूस के रूप में� त्रिलोकीनाथ रोड, दारुलशफा और नगर निगम के सामने से होते हुए फिर विधानभवन पहुंचे।
वामपंथी नेताओं ने कहा कि 22 साल पहले बाबरी मस्जिद को गिराने वालों को सजा नहीं मिल पाई है। सांप्रदायिक शक्तियां समाज को बांटने का मंसूबा पाले हुए हैं। उनके बयानों से यह साफ हो रहा है। केंद्रीय मंत्री भी घृणित बयान दे रहे हैं। उन्होंने जहरीले बयानों पर रोक लगाने और केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की।