
नई दिल्ली। भाजपा के बढ़ते प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए साथ आए जनता परिवार का धरना जंतर-मंतर पर दोपहर को शुरू हो गया। एक साथ खड़े सभी छह दलों के वरिष्ठ नेता सोमवार को यहां आयोजित ‘महाधरना’ में मौजूद थे। इस धरने के जरिये राजग सरकार के खिलाफ विरोध का आगाज करते हुए जनता परिवार के नेता चुनावी वादों को लेकर मोदी सरकार पर हमला करते नजर आए।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अपने सारे वादे तोड़ दिए। कालेधन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मोदी अपने वादे से पलट गए। हर आदमी के अकाउंट में पैसे की बात थी लेकिन वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं। इसके साथ्ा ही उन्होंने मोदी का रिकार्ड किया हुआ भाषण भी जंतर-मंतर पर सुनवाया। उन्होंने कहा कि किसानों से छल किया गया। उन्हें कहा गया कि अनाज का समर्थन मूल्य लागत मूल्य से पचास प्रतिशत अधिक दिया जाएगा लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
इसके साथ्ा ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता परिवार एक हो गया है। उन्होंने कहा कि लोगों ने बहकावे में आकर वोट दिए हैं। मोदी को मालूम नहीं की हम कौन हैं? लालू ने मोदी पर झूठे वादे करने का आरोप लगाया और दो करोड़ नौकरियां देने के उनके कथित वादे का भी जिक्र किया। लालू ने आरोप लगाया कि उन लोगों के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है।
सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की अगुआई में एकजुट हुए जनता परिवार के इस प्रदर्शन में शरद यादव, नीतीश कुमार (जदयू), लालू यादव (राजद), एचडी देवेगौड़ा (जदएस), दुष्यंत चौटाला (इनेलो) और कमल मोरारका (सजपा) मौजूद हैं।
सूत्रों ने बताया कि महाधरने के मौके पर राजद और जदयू के विलय की प्रक्रिया भी शुरू होने की संभावना है। हालांकि, अन्य चार दलों के इसमें शामिल होने में फिलहाल थोड़ा वक्त लगेगा। जदयू के एक वरिष्ठ नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा के प्रभाव को चुनौती देने के लिए त्वरित संगठित प्रयास की यहां सबसे ज्यादा जरूरत है। उत्तर प्रदेश (जहां सपा सत्ता में है) और कर्नाटक (देवेगौड़ा की पार्टी जदएस का प्रभाव वाला राज्य) में ऐसे हालात नहीं हैं।
इस नेता ने बताया कि विलय की पक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सभी छह दलों के बीच विलय पर गंभीर चर्चा की जाएगी। शरद यादव शनिवार को ही कह चुके हैं कि 22 दिसंबर को आयोजित होने वाला महाधरना विलय की दिशा में पहला ठोस कदम होगा।