हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद झारखंड के विधानसभा चुनावों में मोदी लहर के आगे सभी दल चित होते दिख रहे हैं। जम्मू कश्मीर और झारखंड में आज संपन्न हुए अंतिम चरण के चुनावों के बाद सामने आए एग्जिट पोल के नतीजों में झारखंड में भाजपा गठबंधन विशाल बहुमत के साथ सरकार बनाता दिख रहा है। जबकि मुस्लिम बहुल राज्य जम्मू-कश्मीर में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आ रही है। भाजपा यहां दूसरे नंबर की पार्टी के रूप में सामने आ रही है।
एग्जिट पोल के नतीजों के साथ झारखंड में भाजपा अकेले दम बहुमत का आंकडा पार कर रही है, जबकि उसके सहयोगी दलों को भी अच्छी खासी बढ़त मिल रही है। वहीं जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत रूचि और बीजेपी नेताओं के धड़ाधड़ दौरों से पार्टी की सीटें तो बढ़ती दिख रही हैं लेकिन उसे दूसरे नंबर पर ही रहकर संतोष करना पड़ सकता है।
झारखंड में चुनाव के बाद भाजपा समर्थकों के सामने एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि मुख्यमंत्री कौन? क्योंकि दोनों ही राज्यों में पार्टी बिना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किए, केवल मोदी के नाम के सहारे चुनाव में उतरी थी।
मोदी नाम के सहारे चुनाव लड़ी भाजपा एबीपी-नीलसन के सर्वे में खासे फायदे में दिख रही है। सर्वे के अनुसार झारखंड की 81 सीटों के लिए हुए चुनाव में 52 सीटों के साथ पार्टी बहुमत की ओर जाती दिख रही है। जबकि सत्तारूढ़ झामुमो को मात्र 10 सीटों के साथ सत्ता से बाहर जाना पड़ सकता है।
वहीं कांग्रेस गठबंधन मात्र 9 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर खिसकता नजर आ रहा है। इसमें भी लालू यादव की आरजेडी और नितीश कुमार के जेडीयू को एक-एक सीटों से संतोष करना पड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के जेवीएम को छह सीटें ही मिलती नजर आ रही हैं। इसके अलावा चार सीटें अन्य के खाते में जा रही हैं।
सर्वे के अनुसार बीजेपी गठबंधन को मिलने वाली 52 सीटों में से भाजपा के हिस्से में 46 सीटें आती दिख रही हैं। जबकि आल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसु) को पांच और रामविलास पासवान की लोजपा को एक सीट मिल रही है।
दूसरी ओर राज्य में हुए इंडिया टुडे-सीसेरो के सर्वे में भाजपा गठबंधन को 45-31 सीटें, कांग्रेस गठबंधन को 7-11 और सत्तारूढ़ जेएमएम को मात्र 14-18 सीटें ही मिलती दिख रही हैं। जबकि अन्य दलों को मात्र 7-11 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है।
वहीं सी वोटर के सर्वे में बीजेपी 37-45 सीटों के साथ बहुमत की ओर आती दिख रही है। वहीं झामुमो गठबंधन को मात्र 15-23 सीटें ही मिलने की उम्मीद जताई गई है, जबकि कांग्रेस के खाते में मात्र 3-7 सीटों की ही संभावना है। अन्य दल 11-21 लेकर प्रमुख दलों का खेल बिगाड़ सकते हैं।
वहीं जम्मू कश्मीर में चुनाव बाद हुए सर्वे में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में नजर आ रही है। राज्य में 87 सीटों के लिए हुए चुनाव में मुफ्ती मोहम्मद सईद की पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है।
वहीं आजतक के लिए हुए सीवोटर के सर्वे में पीडीपी को 32-38 सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। जबकि बीजेपी को 27-33 और सत्तारूढ़ नेशनल कान्फ्रेंस को मात्र 8-14 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है। जबकि कांग्रेस को 4-10 सीटें मिलने की संभावना है। जम्मू कश्मीर के रूझानों ने सभी राजनीतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं क्योंकि कोई भी दल यहां बहुमत के आंकडे (44) के करीब आता नहीं दिख रहा है।
राज्य में सबसे ज्यादा झटका भारतीय जनता पार्टी को लगा है जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, बावजूद इसके पार्टी बहुमत से काफी पहले 27-33 सीटों तक सिमटती दिख रही है। हालांकि मुश्किलें पीडीपी के लिए भी हैं जो सबसे बड़ी पार्टी की संभावना के बावजूद बहुमत से दूर ही दिख रही है।
वहीं न्यूज नेशन के सर्वे के अनुसार राज्य में पीडीपी 29-33 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है। जबकि सत्तारूढ़ दल नेशनल कान्फ्रेंस मात्र 12-16 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। वहीं जम्मू कश्मीर से सबसे ज्यादा उम्मीद जताने वाली भाजपा 22-26 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर नजर आ रही है। उसकी मुख्य विपक्षी कांग्रेस मात्र 5-13 सीटों पर सिमट सकती है। सर्वे में सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि दूसरे नंबर पर रहने वाली बीजेपी सबसे ज्यादा 26 फीसदी वोट लेती नजर आ रही है जबकि सबसे बड़ी पार्टी बताई जा रही पीडीपी को इससे कम 24 फीसदी वोट मिलने की बात कही जा रही है।
जम्मू कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव के रूझान भाजपा का ख्वाब तोड़ते दिख रहे हैं। राज्य में पूरे मन से चुनाव लड़ने वाली भाजपा ने इतिहास बदलने का पुरजोर प्रयास किया लेकिन इसका खास नतीजा आता नहीं दिख रहा है सिवाय इसके कि पार्टी राज्य में दूसरे नंबर पर रह सकती है।
जम्मू कश्मीर के चुनावों को लेकर पार्टी की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव में मिशन 272+ का लक्ष्य लेकर जीत दर्ज करने वाली भाजपा ने विधानसभा चुनावों में भी इसी तर्ज पर मिशन 44+ के नाम पर चुनाव लड़ा।
मुस्लिम बहुल राज्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी विशेष रुचि दिखाई, उनकी सक्रियता का आलम ये था कि लोकसभा चुनावों के बाद से भी वह राज्य के आधा दर्जन चक्कर लगा चुके थे, जबकि चुनावों में उन्होंने दर्जनभर के करीब रैली कर कश्मीर की जनता का दिल जीतने का भरसक प्रयास किया।
इस सारी कवायद से पार्टी को यह फायदा तो जरूर हुआ कि रुझानों के अनुसार उसकी सीटें तो बढ़ती दिख रही हैं, लेकिन पार्टी बहुमत के आंकडे से काफी दूर है और दूसरे नंबर से ही संतोष करना पड़ सकता है।
रुझानों के अनुसार भाजपा को जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में ठीक-ठाक सीटें मिल सकती हैं लेकिन जैसी की आंशका जताई जा रही थी, कश्मीर खित्ते में पार्टी कुछ खास कमाल नहीं कर सकी। जबकि इस मुस्लिम बहुल क्षेत्र को लुभाने के लिए पार्टी ने सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को वहां टिकट दिया था, इसलिए सबसे ज्यादा निगाह कश्मीर पर ही टिकी हुईं थीं।