14 दिसम्बर की सम्मान रैली को सफल बनाने जुटे दिल्ली के उत्तराखण्डी

दिल्ली की राजनीति में भाजपा, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी द्वारा उपेक्षित उत्तराखण्डी समाज आगामी माह 14 दिसम्बर को दिल्ली में आहुत विशाल सम्मान रैली को सफल बनाने में जुट गया है। इसको सफल बनाने के लिए दिल्ली के तमाम अग्रणी समाजसेवी जूट गये हैं। इस रैली को सफल बनाने के लिए 24नवम्बर को दिल्ली के गढवाल भवन में देर रात तक गहन चिंतन मंथन करने के बाद सभी ने एक स्वर में दिल्ली में उत्तराखण्डी समाज की उपेक्षा करने वाली भाजपा, कांग्रेस व आप जैसे दलों के अलोकतांत्रिक षडयंत्र को बेनकाब करने का निर्णय लिया।इस बैठक में गत सप्ताह दिल्ली में अग्रणी समाजसेवी चंद्र बल्लभ टम्टा व डा विनोद बछेती सहित तमाम समाजसेवियों द्वारा समाज के हक हकूकों व सम्मान की रक्षा के लिए 14 दिसम्बर को विशाल प्रदर्शन करने के निर्णय का तह दिल से स्वागत किया। 14 दिसम्बर को विशाल रैली को सफल बनाने के लिए गढवाल भवन में आयोजित बैठक की अध्यक्षता गढवाल हितैषिणी सभा के अध्यक्ष गंभीरसिंह नेगी ने की व सभा का संचालन उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के प्रखर आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने किया।
इस बैठक में दिल्ली पेरामेडिकल कालेज के एमडी डा विनोद बछेती, अग्रणी उद्यमी व समाजसेवी चंद्र बल्लभ टम्टा के प्रतिनिधी अमर महरा, राष्ट्रीय जनांदोलनों के राष्ट्रीय संयोजक भूपेन्द्र रावत, पूर्व आयकर अतिरिक्त आयुक्त श्री सकलानी, कांग्रेसी नेता दीवान सिंह नयाल, अनिल पंत, आम आदमी पार्टी के उत्तराखण्ड प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बचन सिंह धनौला, उत्तराखण्ड लोकमंच के अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती, उत्तराखण्ड महासभा के रामेश्वर गोस्वामी, भाजपा नेता एम एस रावत, बुराडी से अग्रणी समाजसेवी धर्मपाल कुंमई, बदरपुर से आम आदमी पार्टी के नेता रवीन्द्र रावत, उत्तराखण्ड जनमोर्चा के अध्यक्ष रविन्द्र बिष्ट, अनिल पंत,रणजीत राणा, संजय नौडियाल प्रताप थलवाल, देवेन्द्र बिष्ट, महेशचंद कलौनी, महेन्द्र रावत, उदय मंमगांई, बृजमोहन सेमवाल,गाजियाबाद से कांग्रेसी नेता बीरेन्द्र बिष्ट, आम आदमी पार्टी के विनोद बिष्ट, कांग्रेसी नेता धीरज कनियाल व दिनेश कनियाल, उत्तराखण्ड युवाशक्ति संगठन के सुरेन्द्रसिंह हाल्सी,राजनगर से देवेन्द्र नयाल, मयुर विहार से गढवाल भ्रात संगठन के मोहम्मद हनीफ, लखपत सिंह भण्डारी,रणजीत रावत, शिवचरण मुण्डेपी, जयसिंह राणा, दिनेश फुलारा, गोपाल मठपाल, राजेन्द्र प्रसाद अंथवाल, मनमोहन सिंह बिष्ट, कमल किशोर भट्ट, रवीन्द्र नेगी, गिरीश भाउक, रमेश हितैषी, सहित दर्जनों प्रतिष्ठित समाजसेवी उपस्थित थे।
oma-webगौरतलब है कि देश के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में करीब 30 लाख उत्तराखण्डी समाज को कांग्रेस व भाजपा सहित तमाम राजनैतिक दल निरंतर अपने संगठन के साथ साथ सत्ता (पार्षद, विधायक व सांसद ) की भागेदारी में शर्मनाक उपेक्षा करते है। दिल्ली में हर पार्टी में हजारों की संख्या में जुडे उत्तराखण्डी समाज के समर्पित कार्यकर्ताओं के संघर्ष की बदोलत पार्टी के मठाधीश न तो इन समर्पित कार्यकर्ताओं को संगठन में सम्मानजनक पदों पर आसीन करते हैं व नहीं इनको उनकी हिस्सेदारी के अनुसार प्रदेश के विकास के लिए पार्षद, विधायक व सांसद का ही प्रत्याशी बनाते है। एकाद प्रत्याशी बना कर समाज पर ऐहसान सा करने का नाटक कर समाज के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करते है। दिल्ली की आबादी का सातवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाला उत्तराखण्डी समाज को दिल्ली की सत्ता में छह दशक से काबिज मठाधीशों ने हमेशा लोकतंत्र के युग में भी हिस्से में रखा। दिल्ली के उत्तराखण्डी समाज में भी ‘जिसकी जितनी भागेदारी उसकी उतनी हो हिस्सेदारी’ का नारा गूंजायमान होने लगा है। इसमें दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में रहने वाले हजारों की संख्या में उत्तराखण्डी भाग लेगे। इस मुहिम को जनता में भारी समर्थन मिल रहा है। उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन में सक्रिय रहे उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक संगठन के पीसी थपलियाल, उत्तराखण्ड की सबसे पुरानी रामलीला ‘किशनगंज गढवाल कीर्तन मण्डल के पूर्व अध्यक्ष गंगादत्त जोशी, आचार्य गोपालदत्त सेमवाल, गुडगांव से उत्तराखण्डी समाज, शालीमारबाग से उत्तराखण्ड समाज के अध्यक्ष रामप्रसाद भदोला, नजफगढ़ क्षेत्र से जयपाल नेगी, पालम से चंद्रशेखर जीना व राधेश्याम ध्यानी आदि ने इस आयोजन को पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है।
उत्तराखण्डियों को दिल्ली की राजनीति में हिस्सेदारी दा दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हे। गत चुनावों की तरह इस चुनाव में भी दिल्ली की किसी भी राजनैतिक दल द्वारा यहां पर दिल्ली की जनसंख्या का छटे हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले विशाल उत्तराखण्डी समाज की घोर उपेक्षा किये जाने से उत्तराखण्ड समाज के जागरूक लोगों में भारी असंतोष व्याप्त है। दिल्ली की राजनीति अखाडे के प्रमुख सुरमा रहे कांग्रेस व भाजपा रहे हों पर अब इन दोनों को लोकशाही का पाठ पढाने वाली आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करा दी है। इन तीनों दलों में भले ही जमीनी कार्यकर्ताओं में उत्तराखण्डी समाज की भरमार हो। परन्तु जब दल के संगठन हो या पार्षद, विधायक व सांसद प्रत्याशी बनाने में सभी दल, उत्तराखण्डी समाज की शर्मनाक व अलौकतांत्रिक उपेक्षा करते है। दिल्ली में सांसद के चुनाव में किसी उत्तराखण्डी को अपवाद छोड़ दें तो किसी ने प्रत्याशी बनाने का कदम तक नहीं उठाया। सांसद तो रहा दूर किसी पार्टी ने पार्षदों का न्यायोचित प्रतिनिधित्व देने के लिए तैयार नहीं है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कम से कम दस प्रत्याशी उत्तराखण्डी समाज को मिलने की आश समाज लगाता परन्तु कोई भी पार्टी एक दो सीटें भी देने की जरूरत तक महसूस नहीं करती।
oma-adयह काम किसी संगठन या किसी दो चार व्यक्तियों का नहीं अपितु पूरे समाज का है। व नहीं इसको चंद लोगों के रहमोकरम पर छोडा जा सकता। इसलिए जो भी जागरूक है। उन्हें अपने निहित स्वार्थो व अहं से उपर उठ कर सबके कल्याण के लिए सही कार्यो में सहयोग करना चाहिए। मैं भी न अभी आयोजक हॅू व नहीं आयोजक मण्डल में ही हूॅ। केवल समाज का एक सिपाई होने के नाते मैं इस पर विश्वास करता हॅू कि सकारात्मक कार्य में सहयोग देना चाहिए और लक्ष्य की प्राप्ति लोकशाही में संगठित हो कर सही समय में सही दिशा में प्रयत्न करने से ही हासिल होता है।
एक बात सभी को गांठ बांध लेनी चाहिए वह है जो समाज, व्यक्ति या राष्ट्र समय पर हवाओं का रूख भांप कर अपने कदम नहीं बढाता है तो समय का तीब्र प्रवाह उसे उसी राह पर दफन कर देता है। आशा है कि यह पहल पूरी तरह दिल्ली के उपेक्षित तबके उत्तराखण्डियों के हक हकूकों व सम्मान अर्जित करने के मिशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह दिल्ली के उत्तराखण्डियों के दिलो व दिमाग को उद्देल्लित करने के साथ दिल्ली की राजनैतिक मठाधीशों का ध्यान आकृष्ठ करने में सफल होगी।