प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार को बिजनस नहीं करना चाहिए और इसके बजाय उसकी भूमिका कारोबार की राह आसान करने वाले की होनी चाहिए। माना जा रहा है कि यह बयान प्राइवेटाइजेशन और सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने के बारे में पीएम के नजरिये में बदलाव का संकेत है।
अमेरिकी इनवेस्टर्स से भारत में निवेश का अनुरोध करते हुए पीएम ने यह बात कही। पीएम ने अमेरिकी निवेशकों से कहा कि ऐसा न हो कि वे देर कर दें और भारत में निवेश के लिए दूसरों की लंबी कतार लग जाए।
पीएम ने मंगलवार को वॉशिंगटन में बड़े अमेरिकी कारोबारियों से कहा, ‘मेरा मानना है कि सरकार के कारोबार करने का कोई तुक ही नहीं है। व्यापार करना सरकार का काम नहीं है। हमारा काम अवसर बनाना और इसकी राह आसान करना है। हमारी भूमिका यही होगी।’
उन्होंने भारत में बिजनस करने की स्थितियों में छह महीने के अंदर सुधार लाने का वादा किया। पीएम ने कहा कि उनकी सरकार यह समझती है कि ‘विश्वस्तरीय न सही, ठीक-ठाक इंफ्रास्ट्रक्चर होना’, लेबर के मोर्चे पर शांतिपूर्ण वातावरण होना, कुशल मानव संसाधन की उपलब्धता और एक दोस्ताना इकोसिस्टम होना निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण बात है।
पीएम ने कहा, ‘इससे पहले आपका अच्छा या बुरा, जो भी अनुभव रहा हो, लेकिन अब वक्त बदल गया है। इरादे बदल गए हैं। उद्देश्य बदल गए हैं। मैं भारत पर लोगों का भरोसा बहाल करने की कोशिश कर रहा हैं।’ उन्होंने 300 से ज्यादा बिजनस लीडर्स से कहा, ‘मैं यह पूरे विश्वास के साथ कह रहा हूं कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि मैं यह सोचूं कि भारतीय अर्थव्यवस्था पीछे रह जाएगी। आपको बस एक छोटा सा फैसला करना है- आगे बढ़कर निवेश करने का।’
इनवेस्टर्स के साथ अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए और अपने जैसे गुजरातियों के बिजनस के प्रति रुझान का हवाला देते हुए पीएम ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि भारत में आने और वहां कारोबार करने के लिए इनवेस्टर्स को किसी रियायत की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘मेरा अनुभव यह है कि इनवेस्टर प्रभावी और सरल गवर्नेंस चाहते हैं। वे लालफीताशाही की मुश्किलों से बचने का सिस्टम चाहते हैं।’ पीएम ने जोर देकर कहा कि सरकार ने रिफॉर्म्स का रोडमैप बनाया है। उन्होंने कहा, ‘आपको एक सक्रिय सरकार और इकनॉमी भी चाहिए, अन्यथा ये सभी दूसरे फैक्टर बेकार हो जाएंगे।’