हर साल विजय दशमी के मौके पर संघ प्रमुख स्वंयसेवकों को संबोधित करते हैं जिसमें वो संगठन की नीतियों और विचार के बारे में बातचीत करते हैं। 1925 में विजयदशमी के दिन ही हेडगेवर ने आरएसएस की स्थापना की थी।
संघ प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान भारतीय मूल के लोगों का उत्साह साफ दिख रहा था। भारत प्रशासित कश्मीर में हाल में आई बाढ़ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संकट के समय पूरा समाज एक हो गया था और सभी ने पीड़ितों की मदद की। उन्होंने केंद्र सरकार के राहत कार्यों की भी तारीफ की।
मोहन भागवत ने कहा कि भारत दुनिया में अकेला ऐसा देश है जिसने स्वार्थ के बगैर मानवता को सुख शांति का रास्ता दिखाया है।
उन्होंने कहा कि दुनिया जीडीपी की बात करती है लेकिन भारत के लिए तो केवल एक ही मानक है। उनके अनुसार आख़िरी पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति को सुरक्षित और संपन्न करना होगा। भागवत ने पश्चिम बंगाल और बिहार का जिक्र करते हुए कहा कि वहां विदेशी घुसपैठ हो रही है और राज्य सरकारें वोट की लालच के कारण उन पर कोई रोक नहीं लगाती हैं।
उन्होंने कहा कि घुसपैठ के कारण हिंदू समाज का जीवन खतरे में पड़ने की स्थिति हो गई है। इस मौके पर उन्होंने मंगलयान कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिकों और एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों का अभिनंदन भी किया।
आरएसएस और केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार के प्रमुख घटक दल भारतीय जनता पार्टी में एक खास संबंध है। भारतीय जनता पार्टी ‘संघ परिवार’ का राजनीतिक घटक है जबकि आरएसएस इस परिवार का मुखिया है।
भाजपा और आरएसएस हालांकि हमेशा कहते रहे हैं कि दोनों संगठन अलग-अलग हैं और भाजपा के काम में संघ का कोई दखल नहीं है। लेकिन सच्चाई ये है कि संघ के पदाधिकारी हमेशा से भाजपा में आते रहे हैं।
2014 के चुनाव प्रचार के दौरान संघ प्रमुख ने वोटरों में ज्यादा से ज्यादा संख्या में भाजपा के पक्ष में वोट डालने की अपील की थी। इस समय भी आरएसएस जब अपना 87वां स्थापना दिवस मना रहा है, उसके नागपुर स्थित मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मौजूद हैं।