ये कैसा खेल , खेल रहे है बुखारी -मुद्दा मनोज पंडित के साथ

NCR Khabar Internet Desk
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बुखारी ने किया सौतेला व्यबहार देश के साथ , ये कैसा खेल , खेल रहे है बुखारी , बुखारी ने शरीफ को न्योता भेजा, 
बुखारी ने ऐसे समय मै पाकिस्तान के नवाज़ शरीफ को बुलया है जब देश ने पाकिस्तान से बात चीत बंद कर रक्खी है , ऐसे समय मे जब पाकिस्तान शीर्ष फायर का उलंखन बार बार करता रहता है , जम्मू कश्मीर के गाँव मे निहत्ते लोगो पर भारी गोला बारी कर रहा है और वह के हमारे लोगो को पलायन करना पड़ रहा है ,
जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना मेहमान बनाना फिलहाल गवारा नहीं है। उन्होंने अपने छोटे बेटे सय्यद शाबान बुखारी (19) को अपना जांनशीन ऐलान किया है। 22 नवंबर को दस्तारबंदी की रस्म के साथ उन्हें नायब इमाम घोषित किया जाएगा। दस्तारबंदी रस्म में शामिल होने वाले मेहमानों की उनकी लिस्ट में पाकिस्तान के प्रधामंत्री नवाज शरीफ का तो नाम है, लेकिन मोदी का नाम नहीं है।
इसकी वजह पूछने पर बुखारी कहते हैं, ‘देश के मुसलमान अब तक उनसे (मोदी से) जुड़ नहीं पाए हैं।’ नए इमाम की ताजपोशी के कार्यक्रम में बीजेपी के चार नेताओं गृह मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन, बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन और राज्यसभा सांसद विजय गोयल को न्योता भेजा गया है। उन्होंने बताया कि शरीफ का आना मुश्किल है। उनकी तरफ से भारत में पाक के उच्चायुक्त अब्दुल बासित आएंगे। इसके अलावा सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अभिषेक मनु सिंघवी, एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव और सीएम अखिलेश यादव भी मेहमानों की लिस्ट में हैं।
कार्यक्रम के अनुसार 22 नवंबर को दस्तारबंदी होगी। उस रात और 25 नवंबर को खास मेहमानों और दिल्लीवालों के लिए डिनर है। 29 नवंबर को कई मुल्कों के राजनयिक और दिग्गज सियासी हस्तियां शामिल होंगी। पीएम नरेंद्र मोदी को नहीं बुलाने के सवाल पर अहमद बुखारी कहते हैं कि वह मुसलमानों के प्रतीकों का भी इस्तेमाल करने से कतराते हैं। उनके इस रवैये से मुसलमान उनसे नहीं जुड़ पाए हैं। पीएम को मुसलमानों में विश्वास जगाने के लिए आगे आना चाहिए।
आलीशान जामा मस्जिद 1656 में तैयार हुई थी। मस्जिद में पहली नमाज 24 जुलाई 1656, दिन सोमवार ईद के मौके पर पढ़ी गई। नमाज के बाद इमाम गफूर शाह बुखारी को बादशाह की तरफ से भेजी गई खिलअत (लिबास और दोशाला) दी गई और शाही इमाम का खिताब दिया गया। तभी से शाही इमाम की यह रवायत बरकरार है।

मनोज पंडित

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