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प्रत्यारोपित गर्भाशय से दुनिया के पहले बच्चे का जन्म

पेरिस। चिकित्सा क्षेत्र की उपलब्धियों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। अब से पहले यह कल्पना करना भी संभव नहीं था कि बिना गर्भाशय के पैदा हुई कोई महिला बच्चे को जन्म देने का सुख हासिल कर सकती है। लेकिन स्वीडन के चिकित्सकों ने एक महिला को यह सुख दिया है।

एक 36 वर्षीय स्वीडिश महिला ने प्रत्यारोपित गर्भ से स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है। चिकित्सकों के मुताबिक, गर्भधारण में अक्षम महिलाओं के इलाज की दिशा में यह एक क्रांतिकारी उपलब्धि है। मामले से जुड़ी सर्जन लिजा जॉनसन ने कहा, ‘मेरी सांस थमी हुई थी। मुझे लगता है कि हममें से हर किसी की हालत ऐसी ही थी। यह बिल्कुल अपनी संतान को पैदा करने जैसा अनुभव था। किसी को भी इस पर विश्वास नहीं हो रहा था।’ महिला ने पिछले महीने यूनिसर्विटी ऑफ गुटनबर्ग के अस्पताल में स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया।

चिकित्सकों का कहना है कि मां और नवजात का स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल द लैंसेट के अनुसार, गर्भधारण के 31 हफ्ते में ही ऑपरेशन के जरिए बच्चे का जन्म हुआ। जन्म के समय बच्चे का वजन 1.8 किग्रा था। अस्पताल ने दंपत्ति की पहचान को गुप्त रखा है।

जन्म से ही नहीं था गर्भाशय:

महिला के शरीर में जन्म से ही गर्भाशय नहीं था। हालांकि उसका अंडाशय पूरी तरह कार्यरत था। आनुवांशिक कारण से गर्भाशय न होना या चिकित्सकीय कारणों से गर्भाशय निकाला जाना महिलाओं की गर्भधारण में अक्षमता का बड़ा कारण है। अब तक गर्भाशय से जुड़ी इस अक्षमता को लाइलाज माना जाता रहा है।

61 वर्षीय महिला मित्र ने दिया था गर्भाशय:

दंपत्ति की एक 61 वर्षीय पारिवारिक महिला मित्र ने प्रत्यारोपण के लिए अपना गर्भाशय दिया था। उन्हें सात साल पहले ही मेनोपॉज हो गया था। पिछले साल दस घंटे के ऑपरेशन के बाद गर्भाशय को सफलतापूर्वक महिला के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया गया था।

कृत्रिम गर्भाधान का सहारा लेना पड़ा:

दंपत्ति को आइवीएफ (कृत्रिम गर्भाधान) की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा था। इसके तहत महिला के अंडे और पति के शुक्राणुओं के जरिए भू्रण तैयार किए गए थे, जिन्हें फ्रीज कर दिया गया था। गर्भाशय प्रत्यारोपण के एक साल बाद चिकित्सकों ने फ्रीज किए गए एक भ्रूण को महिला के प्रत्यारोपित गर्भाशय में स्थापित करने का निर्णय लिया।

अब तक नहीं मिली थी सफलता:

इससे पहले चिकित्सा के क्षेत्र में इस तरह के दो प्रयास असफल रहे थे। एक मामले में अंग में संक्रमण हो गया था जबकि दूसरे में महिला का गर्भपात हो गया था।

‘मेरी सांस थमी हुई थी। मुझे लगता है कि हममें से हर किसी की हालत ऐसी ही थी। यह अपनी संतान को जन्म देने जैसा अनुभव था। किसी को इस पर विश्वास नहीं हो रहा था।’

NCR Khabar News Desk

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