बेंगलूर /चेन्नई। अन्नाद्रमुक सुप्रीमो और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की जमानत अर्जी कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने अपने सख्त फैसले में कहा कि उसे जमानत देने का कोई आधार नजर नहीं आता। भ्रष्टाचार मानवाधिकार का हनन है और यह आर्थिक असंतुलन पैदा करता है।
हाई कोर्ट की बेंगलूर पीठ के न्यायाधीश एवी चंद्रशेखरन ने जयललिता के वकील राम जेठमलानी द्वारा पेश तमाम दलीलें सुनने के बाद खचाखच भरी अदालत में जया की जमानत अर्जी नामंजूर कर दी। कोर्ट ने जेठमलानी द्वारा लालू प्रसाद यादव की जमानत पर रिहाई के आधार पर जया की रिहाई की मांग की तो हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिहाई का आदेश देने के पूर्व लालू 10 माह जेल में रहे थे।
वैध तरीके से की कमाई
जया ने तत्काल रिहाई की मांग करते हुए अपनी अर्जी में कहा था कि 1991 से 1996 के दौरान मुख्यमंत्री रहते हुए अनुचित तरीके से धन अर्जित करने का आरोप गलत है। उन्होंने वैधानिक तरीकों से यह संपत्ति जुटाई है। जया ने यह भी कहा कि निचली अदालत ने कई फैसलों की भी अनदेखी की और आयकर विभाग के विभिन्न आदेशों और आयकर न्यायाधिकरण के फैसलों को भी नहीं माना, जिसने उनकी आय और व्यय के स्तर को स्वीकार किया है।
संपत्ति के सुबूत पेश नहीं
जया की निकट सहयोगी शशिकला, उनके रिश्तेदार वीएन सुधाकरण और इल्वारिस की ओर से वकील अमित देसाई ने जमानत के लिए पैरवी की। देसाई ने कहा कि उक्त तीन लोगों की संपत्ति को लेकर कोई सुबूत पेश नहीं किए गए हैं, सिर्फ संदेहों को सबूत नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट की शरण लेंगे
राम जेठमलानी ने बताया कि रिहाई के लिए अब सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की जाएगी।
सरकारी वकील ने नहीं किया विरोध
सुनवाई के दौरान विशेषष सरकारी लोक अभियोजक भवानीसिंह ने कहा कि जयललिता को सशर्त जमानत पर रिहा किए जाने पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है। जैसे ही यह खबर फैली कि सरकारी वकील ने जमानत का विरोध नहीं किया, बेंगलुर की पेरापप्ना अग्रहारा जेल के बाहर मौजूद जया समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया था। पटाखे फोड़े गए और मिठाइयां बंटने लगी। जया इसी जेल में बंद है।
जमानत के पक्ष में दलीलें
जयललिता को जमानत के लिए उनकी ओर से ख्यात वकील राम जेठमलानी हाई कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने जया को जमानत देने के लिए निम्न दलीलें पेश की :
-भारतीय दंड विधान की धारा 389 के तहत सजा के खिलाफ अपील पर फैसला लंबित है इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए।
-आमतौर पर ऐसे मामलों में जमानत दी जाती है।
-ऐसे ही मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को हाई कोर्ट ने जमानत नहीं दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दे दी।
-66.65 करोड़ की जो अनुपातहीन संपत्ति बताई गई है, वह जया के पिछले मुख्यमंत्री काल [1991 से 1996] के पूर्व की है, उसमें इसे शामिल नहीं किया जा सकता।
-जया की अपीलों पर उचित समयावधि में सुनवाई होना चाहिए।
-जया का आचरण ऐसा नहीं रहा है कि वह फरार हो सकती हैं।
27 सितंबर से जेल में
बेंगलुर की विशेषष अदालत ने 27 सितंबर को जयललिता और उनके तीन साथियों को भ्रष्टाचार के मामले में चार साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने जया पर 100 करोड़ और तीन अन्य पर 10-10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया था। इसी दिन जया को जेल भेज दिया गया था और उनका मुख्यमंत्री पद चला गया था। उनकी निकट सहयोगी शशिकला, उनके रिश्तेदार वीएन सुधाकरण और इल्वारिस को जेल भेज दिया गया था।
सशर्त जमानत की खबर पर मिठाई बंटी, पटाखे छोडे
हाई कोर्ट का फैसला आने के पहले ही जया को सशर्त जमानत मिलने की गलत खबर फैल गई। मीडिया में यह समाचार जारी हो गया और समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। चेन्नई में जया के निवास और अन्नाद्रमुक मुख्यालय के बाहर कार्यकर्ता झूम उठे। पटाखे छोड़े गए और मिठाई भी बांट दी गई। बाद में फैसला आया तो उनकी खुशी काफूर हो गई।
कन्नड़ों को बंधक बनाने की धमकी
मंगलवार को चेन्नई में लगाए एक विशाल पोस्टर को लेकर बखे़़डा हो गया। इसमें पार्टी सुप्रीमो जयललिता की कर्नाटक हाई कोर्ट से रिहाई नहीं होने पर तमिलनाडु में रहने वाले कन्नड़भाषी लोगों को बंधक बनाने की धमकी दी गई थी। पोस्टर पर लिखा था-‘चेतावनी.. तत्काल लोगों की मुख्यमंत्री अम्मा को रिहा किया जाए.. अन्यथा हम तमिलनाडु में रहने वाले कन्नड़ लोगों को बंधक बना लेंगे।’ बाद में इस पोस्टर को हटवा दिया गया।
कोयंबटूर और तिरूपुर में पावरलूम बंद रहे
जयललिता के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए तमिलनाडु के कोयंबटूर और तिरूपुर जिलों में मंगलवार को 1.5 लाख पावरलूम बंद रहे। इनमें काम करने वाले हजारों श्रमिक काम पर नहीं आए। एक दिन काम नहीं होने से अनुमानित रूप से 45 करोड़ रु. से ज्यादा का नुकसान हुआ।