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गांधी-शास्त्री जयंती: उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के इलाहाबाद से जुड़ाव के बारे में तमाम किस्से हैं लेकिन उनके जीवन के कई अनछुए पहलू भी हैं जिसे कम ही लोग जानते हैं। शास्त्री जी के बारे में रोचक पहलू यह भी है कि वह बचपन में माघ मेले में गुम हो गए थे। उस समय वह केवल साल भर के थे। माता-पिता उन्हें अपने साथ मकर संक्रांति के दिन संगम लेकर गए थे। किसी वक्त मां-बाप का ध्यान हटा और एक गो पालक उन्हें उठा ले गया।

बेटे के गुम होने से परेशान पिता ने संगम की पुलिस चौकी में रिपोर्ट दर्ज करा दी। संगम क्षेत्र में एनाउंस होने लगा। इसी बीच किसी ने बताया कि एक बच्चा नाव में रखी टोकरी में रो रहा है। माता-पिता उस नाव के पास पहुंचे और गो पालक से बच्चा दिखाने के लिए कहने लगे। लेकिन वह बच्चा देने को तैयार नहीं हुआ। कुछ देर को उसके साथ झगड़ा भी हुआ।

काफी देर बाद लोगों के समझाने पर आखिरकार एक कंबल और कुछ रुपये देकर शास्त्री जी के पिता ने बेटे को हासिल किया। शास्त्री जी से जुड़ा यह रोचक तथ्य ‘धरती के लाल’ पुस्तक में लिखी गई है। शास्त्री जी के बारे में काफी अध्ययन कर चुके इलाहाबाद विश्वविद्यालय कर्मचारी यूनियन के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि धरती के लाल सीरियल में शास्त्रीजी से जुड़े इस किस्से को प्रमुखता से दर्शाया गया है।

संगम नगरी से दिया ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा
इलाहाबाद से दो बार सांसद रहे लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा यमुनापार में उरुवा में एक सभा के दौरान ही दिया था। उनका यह नारा इतना चर्चित हुआ कि बाद में हर सभा का हिस्सा बन गया। लाल बहादुर इंटर कॉलेज से रिटायर हुए शिक्षक मंगल देव द्विवेदी ने बताया कि मेजा के उरुवा मैदान में भाषण के दौरान शास्त्री जी ने कई बार ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया। बाद में यह नारा देशभक्ति का प्रतीक बना।

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के इलाहाबाद से जुड़ाव के बारे में तमाम किस्से हैं लेकिन उनके जीवन के कई अनछुए पहलू भी हैं जिसे कम ही लोग जानते हैं। शास्त्री जी के बारे में रोचक पहलू यह भी है कि वह बचपन में माघ मेले में गुम हो गए थे। उस समय वह केवल साल भर के थे। माता-पिता उन्हें अपने साथ मकर संक्रांति के दिन संगम लेकर गए थे। किसी वक्त मां-बाप का ध्यान हटा और एक गो पालक उन्हें उठा ले गया।

बेटे के गुम होने से परेशान पिता ने संगम की पुलिस चौकी में रिपोर्ट दर्ज करा दी। संगम क्षेत्र में एनाउंस होने लगा। इसी बीच किसी ने बताया कि एक बच्चा नाव में रखी टोकरी में रो रहा है। माता-पिता उस नाव के पास पहुंचे और गो पालक से बच्चा दिखाने के लिए कहने लगे। लेकिन वह बच्चा देने को तैयार नहीं हुआ। कुछ देर को उसके साथ झगड़ा भी हुआ।

काफी देर बाद लोगों के समझाने पर आखिरकार एक कंबल और कुछ रुपये देकर शास्त्री जी के पिता ने बेटे को हासिल किया। शास्त्री जी से जुड़ा यह रोचक तथ्य ‘धरती के लाल’ पुस्तक में लिखी गई है। शास्त्री जी के बारे में काफी अध्ययन कर चुके इलाहाबाद विश्वविद्यालय कर्मचारी यूनियन के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि धरती के लाल सीरियल में शास्त्रीजी से जुड़े इस किस्से को प्रमुखता से दर्शाया गया है।

संगम नगरी से दिया ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा
इलाहाबाद से दो बार सांसद रहे लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा यमुनापार में उरुवा में एक सभा के दौरान ही दिया था। उनका यह नारा इतना चर्चित हुआ कि बाद में हर सभा का हिस्सा बन गया। लाल बहादुर इंटर कॉलेज से रिटायर हुए शिक्षक मंगल देव द्विवेदी ने बताया कि मेजा के उरुवा मैदान में भाषण के दौरान शास्त्री जी ने कई बार ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया। बाद में यह नारा देशभक्ति का प्रतीक बना।

NCR Khabar News Desk

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