आदि काल,वीर गाथा काल,भक्ति काल,रीति काल जैसे हिंदी साहित्य के अनेक कालों में फेसबुक काल सर्वोपरि है….
‘मसि कागद छुयो नहीं,ऊँगली कीपैड कीन्ह
पाठक -प्रकाशक की सुध नहीं,स्टेटस रोजहीं दीन्ह’
………………………. हिंदी के विकास में फेसबुक
धनञ्जय सिंह
आदि काल,वीर गाथा काल,भक्ति काल,रीति काल जैसे हिंदी साहित्य के अनेक कालों में फेसबुक काल सर्वोपरि है….
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पाठक -प्रकाशक की सुध नहीं,स्टेटस रोजहीं दीन्ह’
………………………. हिंदी के विकास में फेसबुक
धनञ्जय सिंह