स्वामी प्रसाद ने दिया वर्ण व्यवस्था के खिलाफ बयान, मायावती नाराज
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तथा विधानसभा में बसपा के नेता सदन स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान से पार्टी ने किनारा कर लिया है। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने उनके बयान को स्वामी प्रसाद का निजी बयान बताया है। माना जा रहा है कि पार्टी स्वामी प्रसाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की योजना बना रही है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बयान में कहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्या ने जो कुछ भी कहा है यह उनकी निजी राय है। पार्टी का इससे कुछ भी लेना नहीं है। बसपा सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर काम कर रही है। सभी वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी सभी वर्ग का ख्याल रखती है। बसपा ने स्वामी प्रसाद मौर्या से इस बाबत स्पष्टीकरण भी मांगा है। माना जा रहा है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होना तय है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कल लखनऊ के मड़ियाव क्षेत्र में कर्पूरी ठाकुर भागीदारी सम्मेलन में कहा था कि आप लोग शादियों में किसी भी भगवान की पूजा न करें। गौरी-गणेश की पूजा तो बिल्कुल न करें। ऐसी पूजा कराना मनुवादियों की साजिश है। यह सब वर्ण व्यवस्था के आधार पर हमारे समाज को बांटने की कोशिश हिंदू धर्म के कुछ ठेकेदारों ने की है, जिसका परिणाम है कि निचले तबके के लोग दबे ही रह गए। इससे भी आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म की इस व्यवस्था की वजह से ही संविधान के निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म धारण कर लिया था।
उन्होंने सभी से कर्पूरी ठाकुर के आदर्शो पर चलने का आह्वान किया और कहा कि बसपा ही अति पिछड़ों को सम्मान देती है। कुछ पार्टियां अति पिछड़ों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के नाम पर उन्हें गुमराह कर रही हैं। सिर्फ बसपा में ही पिछड़े वर्ग के लोगों का सम्मान सुरक्षित है।