
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका पहुंचने से ठीक पहले क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने भारत का क्रेडिट रेटिंग आउटलुक निगेटव से स्थिर कर दिया।
दो साल बाद एसएंडपी की ओर से भारत की क्रेडिट रेटिंग सुधारने का मतलब यह है कि आने वाले दिनों में इसमें और इजाफा हो सकता है।
एसएंडपी ने कहा है कि अगर अर्थव्यवस्था 5.5 फीसदी की रफ्तार की ओर लौटती है और राजकोषीय प्रबंधन में बेहतरी के साथ महंगाई में कमी दिखती है तो भारत की रेटिंग बढ़ाई जा सकती है।
फिलहाल भारत के लिए एजेंसी की रेटिंग ‘बीबीबी-/ए-3 ’ है। क्रेडिट रेटिंग आउटलुक में सुधार का अर्थ यह है कि दुनिया भर के निवेशक मोदी सरकार के आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देख रहे हैं।आउटलुक में सुधार होते ही शुक्रवार को शेयर बाजार सूचकांक सेंसेक्स 158 अंक उछल कर 26,626.32 पर पहुंच गया। क्रेडिट रेटिंग किसी देश की अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे का संकेत है।
एसएंडपी ने यह क्रेडिट रेटिंग आउटलुक ऐसे समय में जारी किया है, जब मोदी निवेश जुटाने के लिए अमेरिका की यात्रा पर हैं। एसएंडपी ने उम्मीद जताई है कि मौजूदा सरकार पॉलिसी पैरालिसिस और ऊर्जा संकट को खत्म करने के साथ-साथ प्रशासनिक सुधारों पर जोर देगी।
अगर सरकार ऐसा करती है तो देश की अर्थव्यवस्था में रफ्तार आ सकती है। रेटिंग में सुधार के बाद वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 5.5 फीसदी से भी ज्यादा की ग्रोथ दर्ज की जा सकती है।
गौरतलब है कि यूपीए सरकार की ओर से आर्थिक मोर्चे पर नीतिगत फैसले लेने में नाकामी के बाद एसएंडपी ने अप्रैल, 2012 में भारत के रेटिंग आउटलुक को घटा कर निगेटिव कर दिया था।
क्रेडिट रेटिंग किसी व्यक्ति कंपनी या देश में निवेशकों के भरोसे को जताती है। अगर क्रेडिट रेटिंग कम है तो उपभोक्ता, कंपनी या देश के लिए कर्ज की लागतें बढ़ जाती हैं और उसके डिफॉल्ट की आशंका भी।
अगर किसी देश की रेटिंग घटाई जाती है तो इसका मतलब है कि उस देश को अपने बांड में निवेश करने वालों को ज्यादा रिटर्न देना होगा।
क्रेडिट रेटिंग आउटलुक
क्रेडिट रेटिंग आउटलुक छह महीने से दो साल की अवधि के बीच रेटिंग की दिशा का संकेत देता है। रेटिंग आउटलुक घटाने या बढ़ाने के वक्त अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलाव और बुनियादी कारोबारी हालातों पर गौर किया जाता है।
पॉजीटिव आउटलुक का मतलब है कि रेटिंग बढ़ाई जा सकती है। स्थिर या स्टेबल आउटलुक का मतलब है कि इस अवधि में रेटिंग में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। डेवलपिंग आउटलुक का मतलब है कि रेटिंग आउटलुक बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
क्या होगा इसका असर?
क्रेडिट रेटिंग आउटलुक में सुधार से विदेशी निवेशकों का रुझान भारत की ओर बढ़ेगा। निवेशक इस उम्मीद में भारत में पैसा लगाएंगे कि सरकार आर्थिक सुधारों के प्रति प्रतिबद्ध है और आने वाले दिनों में उसे बेहतर रिटर्न होगा। इससे भारत को कम लागत में ज्यादा पूंजी हासिल हो सकेगी।
वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने बताया कि हम इस बात से संतुष्ट हैं कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए, खासकर निवेश के माहौल को वापस लाने के लिए उठाए गए कदमों को स्वीकार किया है।