जिस देश ने हिंदुस्तान के दो टुकड़े किये आज उसी देश के दो टुकड़े होने जा रहे है.जिस दिश ने दुनिया को बाँट कर राज किया आज वही देश खुद बंट रहा है. ज्यादातर राष्ट्रवादी सोच के ब्रिटिश नही चाहते कि स्कॉटलैंड और इंग्लैंड दो टुकडो में तकसीम हों. लेकिन आयरलैंड के बाद स्कॉटलैंड के लोग इंग्लैंड से अलग होना चाहते हैं. हमें अब ब्रिटेन में आजादी के लिए हो रही एतिहासिक वोटिंग के नतीजों का इंतज़ार करना होगा .
स्कॉटलैंड यानि स्कॉटिश , आयरलैंड यानी आयरिश और इंग्लैंड यानि इंग्लिश.इन तीनो सूबों ने अपनी पहचान श्रेत्रवाद के नाम पर गढ़ी और यही श्रेत्रवाद अब ब्रिटेन को निगल रहा है. जिस ब्रिटिश साम्राज्य का सूरज नही ढला आज उस साम्राज्य में श्रेत्रवाद के बादल सूरज ढक चुके हैं.
मित्रों किसी भी राष्ट्र में श्रेत्रवाद ही अलगाव वाद को जन्म देता है. भारत में कश्मीर हो या नगालैंड यहाँ अलगाव की राजनीती श्रेत्रवाद के नाम पर गढ़ी गयी. संसृति, भाषा, भूगोल और धर्म जब एक मत, एक रूप, एक जुट होते है तभी कश्मीर और नागालैंड बनते है.
एक दो राज्यों के अपवाद छोड़कर भारत आज संयुक्त गणराज्य इसिलए है कि किसी भी राज्य में 90 फीसदी जनसँख्या संस्कृति से लेकर सम्प्रदाय तक एक मत नही है. 15 से 25 फीसदी मुस्लिम जनसँख्या हर जगह एक मत की परिकल्पना तोडती है. कहीं हिंदी तो अंग्रेजी कहीं जात तो कहीं सम्प्रदाय सम्पूर्ण श्रेत्रवाद के बैड बक्ट्रिया से संघर्ष करते है. भिन्नता हमारी कमजोरी नही हमारी ताकत है. इस भिन्नता में ही एकता है. यही अमेरिका की भी ताकत है जहाँ कोई भी एक राज्य एक ही मत, एक ही नस्ल के हाथ में नही है. सच तो ये है कि केरल से लेकर उत्तर प्रदेश तक और असम से लेकर गुजरात तक मुस्लमान देश तोड़ते नही जोड़ते है. ये सच कुछ लोग हजम नही करेंगे लेकिन सच यही है.
मित्रो, आज स्काटलैंड ब्रिटेन के नक़्शे से इसलिए अलग होने को है क्यूंकि वहां भारत या अमेरिका जैसी भिन्नता नही. एकरूपता वहां एकता तोड़ रही है.
मै चाहूँगा की देश के मुसलमान भी ऐसा ही सोचें. वो मिलकर कश्मीर के अलग होने का हर स्तर पर विरोध करें. ये ज़ज्बा उन्हें वीर अब्दुल हामिद बना देगा. ये ज़ज्बा यासीन मालिक को दुनिया के मंच पर नंगा कर देगा.ये ज़ज्बा देश को कभी टूटने नही देगा.
दीपक शर्मा