लद्दाख के चुमार और डेमचक में सामरिक लिहाज से भारत की मजबूत स्थिति ने चीन को परेशान कर रखा है। यही वजह है कि चीन पिछले कुछ सालों से इन क्षेत्रों में बार-बार घुसपैठ कर भारत को दबाव में रखने की रणनीति पर काम कर रहा है।
ताजा मामले में चुमार में भारत के कड़े रुख के चलते चीनी सेना तिलमिलाई हुई है। चुमार और उससे करीब 40 किलोमीटर दूर डेमचक में मजबूत स्थिति में तैनात भारतीय सेना ने सरकार को कूटनीतिक� रास्ते से हल निकालने की सलाह दी है।
दो असफल फ्लैग मीटिंग के बाद हाथ खड़े कर चुके सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बता दिया है कि अगर दोनों सेनाएं पीछे नहीं हटीं तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री को आश्वस्त किया है कि बैक चैनल बातचीत के जरिए अगले तीन से चार दिन में हालात सामान्य हो जाने की संभावना है। सेना के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की इन दो जगहों पर भारत की मजबूत स्थिति और चुमार के विवादित क्षेत्र में उसके सड़क निर्माण पर भारत के कड़े ऐतराज से चीनी सेना इस तरह बौखला गई कि वह अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सलाह भी नहीं मान रही।
गौरतलब है कि मोदी-जिनपिंग वार्ता के दौरान उठे इस मुद्दे के बाद ढीली पड़ी चीनी सेना कुछ ही घंटों के बाद फिर उग्र हो गई। सूत्रों के मुताबिक चुमार में सामरिक लिहाज से अतिसंवेदनशील और महत्वपूर्ण 30-आर नाम की जगह पर भारतीय सेना 14600 फीट की उंचाई पर है। जबकि चीनी सेना करीब दो हजार फुट नीचे है। सूत्रों ने बताया कि उधर डेमचम क्षेत्र में भारत ने दौलत बेग ओल्डी और नियोमा में दो एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनाकर चीन की स्थिति को कमजोर कर दिया है।
इन्हीं कारणों से चीन ताजा कार्रवाई में डेमचक में पिछले दिनों अपने गांव के लोगों को ट्रकों में लादकर वहां बिठा दिया, जहां भारत के गांव वाले सिंचाई के लिए अस्थायी निर्माण कर रहे थे। चीन की इस कार्रवाई पर भारतीय सेना और आईटीबीपी चुमार में चीन के सड़क निर्माण पर अड़ गई है। सूत्र ने बताया कि अब गेंद विदेश मंत्रालय के पाले में है। मंत्रालय बैक चैनल बातचीत के जरिए दोनों सेनाओं को 10 सितंबर से पहले वाली स्थिति में लाने की कोशिश में है।