सोशल मीडिया से

आलोचना और घृणा का अंतर

अब जबकि प्रधानमंत्री का प्रवासी भारतीयों को संबोधन समाप्त हो गया है शोसल मीडिया पर दो बातें हो रही हैं एक राजदीप सरदेसाई को पड़े थप्पड़ की और दूसरा मोदी की।

बिल्कुल, दोनों एक दूसरे से जुड़े मामले हैं। राजदीप जी मोदी के स्वघोषित आलोचक, या कहें कुढ़ने वाले या उनसे घृणा करने वाले पत्रकारों में शुमार हैं।

आलोचना तो बिल्कुल नहीं, उनका विचार और विश्लेषण मोदी को लेकर हमेशा अत्यधिक नकारात्मक रहा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ज़रूर है देश में पर उसी देश के सारे न्यायालयों ने, विशेष अदालतों ने मोदी को हर मामले से बरी किया है। सिवाय एक अदालत के: राजदीप की अदालत।

जिस तरह की रिपोर्टिंग राजदीप ने चुनावी दिनों में की थी उसका परिणाम चैनल ने उन्हें तुरंत निकाल कर कर दिया। आप कहेंगे इस्तीफ़ा दिया पर आपको पता होना चाहिए कि जितने बड़े पद पर राजदीप थे, उसमें कम से कम तीन से छः महीने पहले बताना होता है छोड़ने के बारे में।

आज महोदय ने मैडिसन स्क्वायर पर एक से पूछा: क्या आपको यहाँ आने के पैसे दिए गये हैं? ये बात एक ईमानदार समर्थक के लिए उतनी ही बुरी है जितना किसी से ये पूछ देना कि क्या आप शाम में वेश्यावृत्ति करते/करती हैं? आप अपने पूर्वाग्रह लेकर रिपोर्टिंग कैसे कर सकते हैं? कुछ एक सवाल ऐसे थे:– क्या आप पैसे देकर यहाँ आए हैं, क्या एक आदमी देश बदल सकता है, और क्या भारत की सुधरती अर्थव्य्वस्था पर सवाल नहीं हो सकता था, क्या जापान और चीन के निवेश पर बात नहीं हो सकती थी, क्या पाकिस्तान के लिए कड़े रुख़ की बात नहीं हो सकती थी?… बैलेंस्ड रिपोर्टर दोनों सवाल पूछता है, और पूर्वाग्रह पीड़ित रिपोर्टर सिर्फ नकारात्मक बातें करता है।

और जब आदमी भड़क गया तो आप, सम्माननीय संपादक महोदय, देश के शिरोमणि पत्रकार, उसे ‘ऐसहोल’ कहकर भी बुलाते हैं। ऐसे में थप्पड़ लगना उचित ही है। इस तरह की हरकत पर थप्पड़ लगती ही है इसमें कोई दो राय नहीं है। और वैसे भी वीडियो देखकर यह साफ़ जाहिर है कि राजदीप ने न सिर्फ गाली-गलौज की पर मुक्केबाज़ी की शुरूआत भी उसी ने की थी।

तमाम लोग इस घटना की भर्त्सना कर रहे हैं। बिल्कुल ठीक है। पर इसमें कुछ लोग मोदी को सफ़ाई देने और माफ़ी माँगने बोल रहे हैं। अब कोई लोगों के चरित्र पर सवाल उठाने और ऐसहोल बुलाने वाले पत्रकार शिरोमणि को भी सफ़ाई देगा !

इन्हीं प्रबुद्ध लोगों के लिए मोदी खुद कहते रहे कि भैया वो छोटे आदमी है, छोटे काम ही करेगे ट्वायलेट, सफ़ाई, अनुशासन, कम्प्यूटर| टेक्निकल बात मीडिया के पंडितों के लिए होती है। और मीडिया के तथाकथित विशेषज्ञ उससे अर्थ और अनर्थ दोनों निकालते हैं।

गाँधी को मोहनलाल करमचंद गाँधी कहने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि जबतक आप छिद्रान्वेषण नहीं करेंगे तब तक इस गलती का कोई मतलब नहीं है। सबको पता है कि मोहनलाल कहो या मोहनदास, मतलब गाँधी से था।

जैसे जैसे प्रधानमंत्री जी कार्यालय और बाहर समय बिता रहे हैं मेरे समर्थन का अनुपात और सरकार में आस्था बढ़ रही है। ऐसा इसलिए भी है कि मैं अच्छी चीजें देखना चाहता हूँ। मुझे गाँधी सुनना है, मोहनलाल या दास से मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता। मुझे घरों में, विद्यालयों में शौचालय चाहिए और मुझे मंगलयान भी चाहिए। मुझे साफ़ गंगा भी चाहिए और कोका कोला का दस बिलियन का निवेश भी।

मुझे मेरे सपनों का भारत चाहिए और उसमें मेरी साझेदारी है क्योंकि मैं राष्ट्रगान पर खड़ा होता हूँ, मैं मंगलयान के कक्षा में स्थापित होने पर रोमांच अनुभव करता हूँ और मैं भारत के प्रधानमंत्री को अमेरिका में बीस हजार लोगों को संबोधित करते देखकर ख़ुश होता हूँ और मैं आलोचना करता हूँ, घृणा नहीं। काश राजदीप इन दो शब्दों का अंतर समझ पाते……….

NCR Khabar Internet Desk

एनसीआर खबर दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। अपने कॉर्पोरेट सोशल इवैंट की लाइव कवरेज के लिए हमे 9711744045 / 9654531723 पर व्हाट्सएप करें I हमारे लेख/समाचार ऐसे ही आपको मिलते रहे इसके लिए अपने अखबार के बराबर मासिक/वार्षिक मूल्य हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये दे सकते है और उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

Related Articles

Back to top button