नई दिल्ली। विस्फोट डॉट कॉम के संपादक और संस्थापक संजय तिवारी पर पिछले दिनों जानलेवा हमला हुआ। उनके दरियागंज स्थित आवास पर उनका एक पुराना जानकार अनूप शक्ति युवक पहुंचा। वह पूरी तैयारी के साथ पहुँचा था। उसने बैग में रस्सी, क्लोरोफॉर्म, हथौड़ी, कैंची आदि लिया हुआ था। उसे देख जब संजय तिवारी ने कुछ ही देर में घर से बाहर निकलने को मुड़े तो उस अनूप शक्ति नामक युवक ने पीछे से सिर पर हथौड़े से वार कर दिया। संजय तिवारी चिल्लाते हुए गिर गए। आरोपी अनूप शक्ति ने संजय तिवारी को घसीटकर पीछे के कमरे में ले जाने लगा। संभवतः वह हत्या कर देने के इरादे से आया था और यही काम करने के लिए वह संजय को घसीटते हुए पीछे के कमरे में ले जाने लगा। पर संजय तिवारी की तेज-तेज चीख-चिल्लाहट के कारण मकान मालिक आ गए और अंदर से बंद कमरे को बाहर से जोर-जोर से खटखटाने लगे।
बाहर किसी आदमी के होने की बात जानकर आरोपी अनूप शक्ति थोड़ा ठिठका और दरवाजा खोलकर भाग खड़ा हुआ। वह जल्दबाजी में अपना बैग भी छोड़कर भाग गया जिसमें पर्याप्त मात्रा में गांजा के साथ क्लोरोफॉर्म, हथौड़ा, रस्सी आदि चीजें थीं। आरोपी अनूप शक्ति अपने घर गया और वहां जाकर कह आया कि उसने संजय तिवारी का मर्डर कर दिया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 307 की बजाय सिर्फ 308 धारा में रिपोर्ट दर्ज किया है। आरोपी अनूप शक्ति और उसके परिजनों से संजय तिवारी की काफी साल पुरानी जान-पहचान है। संजय का आरोपी के घर आना जाना भी है और पूरे परिवार से बेहद निजी ताल्लुकात है। आशंका है कि किसी घरेलू बात को लेकर या घर के किसी मसले में संजय तिवारी की दखलंदाजी को लेकर आरोपी अनूप शक्ति ने संजय तिवारी का मर्डर करने का इरादा कर लिया।
घटना के कई दिन बाद भी हमलावर पुलिस के गिरफ्त से बाहर है। हमलावर अब भी संजय तिवारी से ह्वाट्सएप के जरिए संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है और यह बताने की कोशिश कर रहा है कि उसे किसी ने गुमराह किया जिसके कारण वह मर्डर करना चाहता था। कई दिनों तक दरियागंज के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती रहने के बाद आज दोपहर संजय तिवारी वहां से डिस्चार्ज हो गए। पुलिस ने उनके कमरे जो कि घटनास्थल है, को फोटोग्राफी के बाद सील कर दिया है। संजय तिवारी किसी अपने परिचित के यहां अज्ञात स्थान पर रहने के लिए चले गए हैं। संजय तिवारी का कहना है कि वे खुद आश्चर्य कर रहे हैं कि वह पुराना परिचित आखिर क्यों मर्डर करने की नीयत लेकर आया था। सिर, आंख और गर्दन के आसपास भारी चोट के शिकार हुए संजय को करीब दस टांके लगे हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि पूरे प्रकरण में रहस्य की कोई परत है जो खुलने से बची हुई है। संभव है, दोनों ही पक्ष उस परत को रहस्य बनाए रखना चाह रहे हों इसलिए पूरे मामले का सच कभी सामने ना आ सके। पर इतना तो तय है कि बेहद शांत, ईमानदार, आध्यात्मिक और जनपक्षधर वेब जर्नलिस्ट संजय तिवारी के जीवन पर इस घटनाक्रम का बड़ा असर पड़ेगा और वह अपने जीवन दर्शन को नए सिरे से पुनर्परिभाषित करने को मजबूर होंगे। ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर के सिद्धान्त पर जीने वाले संजय तिवारी कहते हैं- ‘मुझे खुद भी सपने में तनिक अंदाजा न था कि मेरे पर कभी कोई जानलेवा हमला करेगा, वह भी मेरे घर के अंदर और हमलावर कोई और नहीं बल्कि मेरा जानकार परिचित करीबी होगा।” यह तो चमत्कार हुआ कि संजय तिवारी की जान बच गई लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या संजय तिवारी हमलावर अनूप शक्ति को दंडित कराएंगे और इसके लिए अभियान चलाएंगे या फिर उसे चुपचाप माफ कर पूरे मामले को बीती बात मानकर भुला देंगे। संजय तिवारी फिलहाल गंभीर चोटों के शिकार हैं और आराम कर रहे हैं। उन्होंने फेसबुक पर खुद यह लिखकर सबको चैन की सांस दे दी है कि वे बाल-बाल बच गए हैं और अब बिलकुल ठीक हैं।