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दशकों बाद आज लाल क़िले पर कोई नेता खड़ा हुआ है… जो ख़ुशदिल है… अनूठा है… शेरदिल है..ऋषभ सक्सेना

जी हां,
ठीक पहचाना… यह असली लाल क़िले का कंगूरा है…. दिल्ली वाले लाल क़िले का, छत्तीसगढ़ वाले लाल क़िले का नहीं। यह ख़ुशदिल नज़ारा है…
इस पर शख़्स भी असली ही खड़ा है… ख़ालिस हिंदुस्तानी पगड़ी में…. दहाड़ता हुआ… किसी पुर्ज़े पर लिखे हर्फ़ नहीं दोहरा रहा… या बुदबुदा नहीं रहा, जिसके आदी हम दस साल में हो गए थे…. कविता भी नहीं कह रहा… वह दहाड़ रहा है… भारत की बात कह रहा है… विवेकानंद की पंक्तियां बोल रहा है… वह लाल क़िले से “भारत माता की जय” का नारा लगा रहा है…. यह अनूठा है…
वह आज़ादी के दिन बुलेटप्रूफ़ कांच के पीछे नहीं छिपा… वह ख़ुली हवा में ख़ुले आसमां के नीचे खड़ा होकर ललकार रहा है आपको… वह नेता लग रहा है…. यह शेरदिल है…
वाक़ई… दशकों बाद आज लाल क़िले पर कोई नेता खड़ा हुआ है… जो ख़ुशदिल है… अनूठा है… शेरदिल है..
ऋषभ सक्सेना की फेसबुक वाल से