सत्ता का पाप जब सर चढ़कर बोलता है तो सरकार के सीने पर “निर्भया” जैसे घाव लगते हैं. एक घाव मनमोहन सिंह के सीने पर २०१२ में लगा था , एक घाव मुलायम के सीने में अब लगा है.
मित्रों लखनऊ में हुए कुकर्म की ज़िम्मेदार पुलिस नही है . लखनऊ के इस कुकर्म के लिए सरकार का चरित्र दोषी है. जब चरित्रदोष मर्यादाएं लांघता है तो कोई अबला ही जान देकर उसूलों से गिरी हुई सरकार का असली चेहरा बेनकाब करती है. सच यही है कि दरिंदों ने लखनऊ की इस अबला का जिस्म नही नोचा बल्कि मुलायम सरकार का मुखोटा नोचकर उसका असली चेहरा दिखाया है.
शायद अब मुलयम सिंह यादव मुंबई की सामूहिक बलात्कार के दोषियों की पैरवी नही करेंगे. शायद अब अखिलेश यादव अपने मोबाइल फोन पर दिन भर गेम नही खेलेंगे.शायद अब शिवपाल भ्रष्ट अफसरों की मलाईदार पोस्टिंग के परे कुछ और सोचेंगे.शायद अब नवनीत सहगल जैसे लाएजनर अफसरों से मुख्यमंत्री कार्यालय को निजात मिलेगी. शायद अब कोई पत्रकार सत्ता के गलियारों के भेदकर किसी सीक्रेट फाइल को बंद अलमारी से निकालेगा और सरकार का कच्चा चिठा खोलेगा. मेरी दुआ है कि इस अबला की कुर्बानी यु ही जाया न हो जाए . मुझे इंतज़ार उस सुबह का है जब कोई सरकार लखनऊ को उसकी तहज़ीब वापस सौंपे. वो अदब वापस करे जो सफ़ेद पोश निगल चुके हैं. वो किरदार लौटा दें जिस पर हम लखनऊ वालों को फक्र था. आमीन .
दीपक शर्मा (क्राईम रिपोर्टर -आजतक )