main newsउत्तर प्रदेशभारत

छलक पड़े खुशी के आंसू, जब तेरहवीं के 3 दिन बाद घर लौटे रंजीत

12_07_2014-12deathcअतरौली – रंजीत की मौत की खबर से परिजनों को वैसा ही दुख हुआ, जैसा हर किसी को होता है। शव का दाह संस्कार भी वैसे ही हुआ, जैसे किया जाता है। तेहरवीं भी वैसे ही हुई, जैसे होती है। अस्थि विसर्जन की वैसे ही तैयारी हो गई, जैसे कि की जाती है। पर, तेहरवीं के तीन दिन बाद रंजीत जिस तरह चलते-फिरते सशरीर घर लौट आए, वैसा कभी नहीं होता। गमजदा आंखों से फिर आंसू बह निकले, लेकिन इस बार ये खुशी के थे।
ये है मामला :
जिला मुख्यालय से 38 किमी. दूर अतरौली इलाके के गांव चालाकपुर के रंजीत (55) अपने दो बड़े भाइयों कंचन सिंह व शिवदत्त के साथ रहते हैं। दोनों बड़े भाइयों का भरा-पूरा परिवार है, लेकिन रंजीत ने शादी नहीं की। घुमक्कड़ी स्वभाव के रंजीत करीब दो महीने पहले घर से निकल गए। वे चार-छह दिन में लौट आते थे। इस बार कई हफ्ते बीत गए तो अनहोनी की आशंका हुई। इस बीच, 23 जून को बुलंदशहर के थाना छतारी क्षेत्र में दीवला खेड़ा के पास रेलवे ट्रैक किनारे शव मिला। इसकी चालाकपुर खबर गई तो परिजन थाने पहुंचे। शव की शिनाख्त रंजीत के रूप में की।
अंतिम संस्कार :
सैकड़ों गांव वालों व नाते-रिश्तेदारों की मौजूदगी में 24 जून को गांव में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। सात जुलाई को तेरहवीं भी हो गई। दूसरे दिन रिश्तेदार विदा हुए।
घर लौटे :
तेरहवीं के तीन दिन बाद परिजन अस्थि विसर्जन के लिए गंगाघाट जाने की तैयारी कर रहे थे। गुरुवार को अचानक रंजीत गांव लौट आए। उन्हें देखकर सब सन्न। दोनों भाई रंजीत से लिपटकर खूब रोए।
एक अचंभा और भी :
गांव व परिजनों के साथ रंजीत बातचीत कर ही रहे थे कि तभी तीन लोग बाइक से आए और रंजीत से लिपटकर रोने लगे। बात पूछने पर वे रंजीत को पिता बताने लगे। यह सुनकर हर कोई सन्न रह गया। उन्हें बताया गया कि रंजीत की तो शादी ही नहीं हुई, फिर पिता कैसे हो गए? सकपकाए युवकों ने फिर गौर से चेहरा देखा। उन्होंने बताया कि रंजीत की शक्ल उनके पिता कलियान सिंह (58) से मिलती है। वे थाना जवां क्षेत्र के गांव मेमड़ी के निवासी थे। कलियान सिंह 22 जून से लापता थे। शायद रंजीत के परिजनों को यही शव बुलंदशहर पुलिस ने सौंपा था। हमशक्ल होने के कारण सभी चकमा खा गए।
अस्थियां लेकर लौटे :
डेढ़ महीने से पिता को तलाश रहे कलियान सिंह के बेटों को रंजीत के परिजनों ने अस्थिकलश सौंपा। बनी सिंह, उदयवीर सिंह व कुंवरपाल अस्थियां पाकर ही संतुष्ट हो गए।
चीनी से पहचान :
कलियान की पहचान भी चीनी से हुई। पुलिस यह मानने को तैयार नहीं थी कि जिस शव को वह रंजीत का बता चुकी है, उसे कलियान का माने। कलियान के बेटों ने बताया कि उनके पिता चीनी खाने के बेहद शौकीन थे। हर वक्त जेब में चीनी रखते थे। थाने में रखे कुर्ते की जेब से चीनी मिली तो पुलिस को कलियान का ही शव मानना पड़ा।

NCR Khabar News Desk

एनसीआर खबर.कॉम दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित और नं.1 हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें mynews@ncrkhabar.com पर भेज सकते हैं या 09654531723 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं

Related Articles

Back to top button