डीयू में चार साल का पाठ्यक्रम समाप्त
नई दिल्ली । चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम [एफवाईयूपी] को वापस लेने पर दिल्ली विश्वविद्यालय [डीयू] के कुलपति प्रो. दिनेश सिंह की सहमति के बाद डीयू और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग [यूजीसी] के बीच गतिरोध समाप्त हो गया है। कुलपति ने शुक्रवार को यूजीसी के समक्ष समर्पण करते हुए वक्तव्य जारी किया कि चार वर्षीय पाठ्यक्रम वापस लेते हुए डीयू 2012-2013 सत्र की तर्ज पर ही दाखिले लेगा। दाखिला प्रक्रिया में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए प्रिंसिपलों की 12 सदस्यीय समिति विचार करेगी। संभावना जताई जा रही है कि दाखिले मंगलवार से शुरू हो सकते हैं। चार वर्षीय पाठ्यक्रम वापस होने पर शिक्षक व छात्र संगठनों ने खुशी जताई है। डीयू प्रशासन ने आनन-फानन में शनिवार सुबह विद्वत परिषद और कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाई है। इसका एकमात्र एजेंडा चार वर्षीय पाठ्यक्रम की वापसी है।
बताया जा रहा है कि कुलपति के पास दो ही विकल्प बचे थे या तो वह इस्तीफा देते या तीन वर्षीय पाठ्यक्रम पर हामी भरते क्योंकि सभी कॉलेज इस पाठ्यक्रम को लागू करने के लिए सहमति जता चुके थे। शिक्षक और छात्र संगठन एफवाईयूपी को राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लंघन बताते हुए इसकी वापसी की मांग कर रहे थे, जबकि कुलपति इसे वैध और यूजीसी द्वारा मान्य बता रहे थे। कुलपति की एफवाईयूपी को वापस लेने की घोषणा के बाद आइपी कॉलेज में प्रिंसिपलों की बैठक बीच में ही समाप्त हो गई। वे कुलपति से मिलने उनके आवास गए, जहां उन्होंने दाखिला संबंधी समस्या के समाधान के लिए समिति का गठन किया।
डीयू की कुलसचिव अलका शर्मा ने बताया कि कुलपति ने प्रिंसिपलों की एक समिति बनाई है, जो दाखिला प्रक्रिया में आ रही दिक्कतों पर सुझाव देगी ताकि 2014-15 सत्र में दाखिले शुरू हो सकें। दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के प्रिंसिपल और डीयू कॉलेज प्रिंसिपल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एसके गर्ग को समिति का समन्वयक बनाया गया है, जबकि श्रीगुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. जसविंदर सिंह को सह समन्वयक बनाया गया है। यह समिति बीटेक और बीएमएस कोर्स समेत दाखिला संबंधी सभी समस्याओं का समाधान करेगी।