सत्ता की कमान संभालने के बाद से विदेश नीति के मोर्चे पर पड़ोसियों और मित्र देशों को अहमियत देने की पहल जारी रखते हुए मोदी सरकार रूस के साथ पुरानी दोस्ती में नए रंग भरेगी। इसकी शुरुआत बुधवार को भारत दौरे पर आ रहे रूसी उप प्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीच मुलाकात से शुरू होगी।
भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के देश की कमान संभालने के बाद भारत और रूस की सरकारों के बीच यह सबसे उच्चस्तरीय बैठक होगी। सुषमा-दिमित्री की मुलाकात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच इसी साल होने वाली शिखर बैठक की जमीन तैयार की जाएगी।
रूसी उप प्रधानमंत्री और सुषमा स्वराज की इस बैठक में दोनों देशों के बेहद निकट ही नहीं विशेष रणनीतिक रिश्तों को नए आयाम पर ले जाने पर बातचीत होगी। विदेश नीति के मोर्चे पर मोदी सरकार पड़ोसी, मित्र और रणनीतिक साझीदार देशों के साथ लीक से थोड़ा हटकर रिश्तों को वरीयता के आधार पर आंक रही है।
सरकार के सूत्रों ने बताया कि रूस के साथ रिश्तों को और प्रगाढ़ करना इस पहली उच्चस्तरीय मुलाकात का लक्ष्य है। इसलिए रणनीतिक साझेदारी ही नहीं आर्थिक सहयोग के तमाम पक्षों पर सुषमा और दिमित्री के बीच वार्ता होगी।
ऊर्जा के क्षेत्र में रूस भारत का बड़ा साझीदार बन सकता है और मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र को प्राथमिकता सूची में रखा है। ऐसे में परमाणु ऊर्जा समेत बिजली क्षेत्र में सहयोग के नए विकल्पों पर भी बातचीत होगी।