शनि महाराज को लोग यूं तो पाप ग्रह के रुप में जानते हैं क्योंकि शनि उग्र स्वभाव के हैं और लोगों को दंड देने में कोई कोर कसर नहीं रखते। लेकिन शनि अगर शुभ फलदायी हो जाए तो इनके समान कोई भी ग्रह शुभ फल नहीं दे पाते।
ज्योतिषशास्त्र में एक ऐसे ही योग का उल्लेख किया गया है जो शनि द्वारा बनता है। जिनकी कुंडली में यह योग होता है वह धनवान होने के साथ ही काफी प्रसिद्घि भी हासिल करते हैं।
ज्योतिषशास्त्र में शनि के इस योग को ब्रह्माण्ड योग नाम दिया गया है। यह योग तब बनता है जब दो ग्रह अपनी राशि से छठे या सातवें स्थान पर होते हैं।
अन्य ग्रहों को यह योग बनाने के लिए दूसरे ग्रहों की जरुरत होती है लेकिन शनि की दोनों राशि एक साथ क्रम में होती है इसलिए शनि अकेले ही इस योग का निर्माण कर लेते हैं।