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कानूनी सलाह बिना रॉल्स रॉयस से कारोबार नहीं

12_05_2014-ANTONY2aनई दिल्ली। घूसखोरी के आरोपों में घिरी ब्रिटिश कंपनी रॉल्स रॉयस से कारोबार जारी रखने को लेकर रक्षा मंत्रालय के आला अफसरों की राय को दरकिनार कर रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मामला कानून मंत्रालय को भेज दिया। एंटनी ने सरकार के विधि अधिकारियों के मशविरे के बिना विवादित कंपनी से किसी भी खरीद को खारिज कर दिया। सीबीआइ ब्रिटिश वैमानिक इंजन निर्माता कंपनी पर भारत से हुए सौदों में घूसखोरी के आरोपों की जांच कर रही है।

मामले पर रक्षा उत्पादन विभाग की सिफारिश को दरकिनार करते हुए एंटनी ने कानून मंत्रालय की सलाह लिए बिना किसी भी खरीद को हरी झंडी देने से इन्कार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, सैन्य परियोजनाओं में देरी का हवाला देते हुए रक्षा उत्पादन विभाग ने रॉल्स रॉयस से कारोबार जारी रखने के पक्ष में सलाह दी थी। ब्रिटिश कंपनी ने 2007-11 के बीच भारत के साथ हुए खरीद सौदों के लिए बिचौलिए को नियुक्त करने व उसे कमीशन देने की बात मानी थी।

कंपनी ने पारदर्शिता प्रावधानों के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को पत्र लिखकर यह स्वीकार किया, जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने मार्च, 2014 में मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी। रॉल्स रॉयस ने भारत के साथ हुए सौदे के लिए एशमोर प्राइवेट लिमिटेड को नियुक्त करने की बात मानी थी। भारत के साथ हुए खरीद सौदों की शर्तो का उल्लंघन व जानकारी छुपाते हुए विदेशी कंपनी ने बिचौलिए को नियुक्त किया। बिचौलिए को सौदे के मूल्य में करीब 13 फीसद तक दलाली दी गई। बीते पांच साल के दौरान एचएएल ने रॉल्स रॉयस को करीब 5000 करोड़ के खरीद ऑर्डर दिए।

इस दौरान 2008 में अडोर व 2011 में जीनोम इंजन खरीद के लिए ऑर्डर दिए गए। औद्योगिक व समुद्री गैस टर्बाइन खरीद के लिए 2007 में दिए ऑर्डर समेत करीब 55 खरीद मामलों में अशोक पाटनी व उनकी कंपनी एशमोर की भूमिका मानी गई।

NCR Khabar News Desk

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