मुसलमान: इस बार तो हम लोग मोदी समेत सारे टुनटुनिया हिन्दुओं की लाशें बिखेर देंगे। गुजरात का हिसाब लेना है, हर कीमत पर।
हिन्दू: यह कटुए इस देश पर नासूर हैं। जिस दिन देश से दफा हुए, हम इनका श्राद्ध करेंगे। इसी चुनाव में हिसाब-किताब साफ होना है।
अरे भाड़ में गये उल्लू के पट्ठे उस्सान-असलम-मोहम्मद और तेल लेने गया स्साला कुमार सौवीर-यशवंत सिंह-मदन तिवारी-शीतल सिंह। साबुत-कटुए यह सारे दर-टाइप निकले। बातें ज्ञान की और कर्म धत्त का।
जाओ, करो एक दूसरे का कत्लेआम। लेकिन इससे पहले एक बार जरा बाजार जाकर झांक लेना, जहां तुम्हारे बकवादी-छिछोरों इजारेदार-नेता-व्यापारियों ने तुम्हें सरेआम लूटने-बलात्कार करने का सामान तैयार कर रहा है।
औसत केला- 60 रूपये दर्जन, पपीता- 40 रूपये किलो, लौकी और कद्दू- 20 रूपये किलो, तेल में 25 रूपये का इजाफा।
लेकिन यह माजरा तो सिर्फ शाक-भाजी का है। अपना दीदा खोलो, पिछले एक पखवाड़े के बीच सीमेंट की कीमत 45 रूपये प्रति बोरी तक पहुंच गयी है। लोहा, ईंटा तो दूर, किचन का मसाला भी आंखों में बेसाख्ता मिर्च झोंक रहा है। सहालग की चीजों को समझने के लिए जाइये लखनऊ के यहियागंज में या फिर बनारस की लोहटिया-विश्वेश्वरगंज अथवा कानपुर की बाजारों में। हर जगह आग लगी है, मगर हिन्दू-मुसलमान पर कोई फिक्र तक नहीं।
एक बड़े व्यापारी से जवाब मिला:- पार्टियों को चंदा देना पड़ता है, इसलिए क्या किया जाए। हां, एक बार दाम बढ़ गये तो अब काम तो होंगे नहीं। एक बार चंदा देंगे और उसके बाद हमेशा के लिए अपनी तिजोरी भरते रहेंगे यह अम्बानी-अडानी जैसे नरभक्षी।
तो, क्या इरादा है कत्लेआम के बारे में। खुद करोगे या खुद का कराओगे।
कुमार सौवीर