नवरात्र के मौके पर दिल्ली के कालका जी, कात्यायनी मंदिर, छत्तरपुर और दिल्ली के मध्य में स्थित झंडेवालान माता मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। इसका कारण यह है कि इन मंदिरों के प्रति लोगों में बड़ी आस्था है।
वर्तमान समय में इस मंदिर के आस-पास का क्षेत्र काफी भीड़ भाड़ और शोर गुल भरा हो गया है। लेकिन जिस समय जिस समय देवी की मूर्ति प्रकट हुई थी यह स्थान बहुत ही शांत और मनोरम था। साधक यहां साधना के लिए आया करते थे।
इन्हीं साधकों में से एक थे बद्री दास। यह एक कपड़ा व्यापारी थे और मां वैष्णो देवी के प्रति अपार श्रद्घा रखते थे। एक दिन इस स्थान पर बद्री दास साधना कर रहे थे। तभी उन्हें अनुभूति हुई कि इस जमीन में कोई प्राचीन मंदिर दबा हुआ है।
इन्होंने इस जमीन को खरीद लिया और खुदाई शुरू करवा दी। खुदाई में सबसे पहले एक झंडा मिला जिससे इस स्थान का नाम झंडेवालान रख दिया गया। आगे जब खुदाई की गई तो देवी की मूर्ति प्रकट हुई। लेकिन खुदाई में मूर्ति का हाथ टूट गया। इसलिए मूर्ति के टूटे हुए हाथ को चांदी का बनाया गया, ताकि खंडित मूर्ति की पूजा का दोष नहीं लगे।
मां की यह मूर्ति गुफा में सुरक्षित स्थापित है। नवरात्र के मौके पर इनका दर्शन प्राप्त करना बहुत ही फलदायी माना जाता है।