जो कभी ढंग का साहित्य न लिख पाए कथित साहित्यकार #खुशवंत सिंह के लेखन को “भोंडा साहित्य” लिखते हैं. उन्हें एक पाठक की दृष्टि से बताता चलूँ…..
साहित्यकार हमेशा सबसे ज्यादा एक्सपोज्ड होता है. वोह जो जीता है वही लिखता है. वोह अपने हर राज़ खोल कर दुनिया के सामने शब्दों की मर्यादाओं में रख देता है. जो यह हिम्मत कर जाता है वोह बनता है हम पाठकों का साहित्यकार और जो नहीं कर पाता वोह बनता है आप लोगो जैसा लोबीस्ट साहित्यकार.
मंटो या खुशवंत सिंह खुल कर सामने आगये थे, लेकिन भोंडे या अश्लील नहीं थे.
हैदर रिज़वी