होली का त्योहार हो और उसमें हुड़दंग और गाने बजाने का कार्यक्रम न हो तो भला होली कैसी। लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर होली में हुड़दंग और मस्ती क्यों करते हैं लोग।
इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार भगवान श्री राम के पूर्वज रघु के राज्य में एक राक्षसी थी, नाम था ‘ढूंढी’। कहते हैं इस राक्षसी ने भगवान शिव को प्रसन्न के करके तंत्र विद्या का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
अपनी इस विद्या से यह अदृश्य होकर यह बच्चों को कष्ट पहुंचाती थी। तंत्र विद्या से यह बच्चों को बीमार भी कर देती थी। ऐसे में जब लोगों को पता चला कि भगवान शिव ने ढूंढी को वरदान देते समय यह भी कहा था कि जहां बच्चों का शोरगुल, हुड़दंग और हो हल्ला होगा वहां ढूंढी का तंत्र विद्या असफल रहेगा।
इसके बाद से होली के मौके पर बच्चों ने मस्ती करनी शुरु कर दिया। धीरे-धीरे बड़े भी इसमें शामिल हो गए और होली पर जमकर हुड़दंग, गाना-बजाना और हो हल्ला होना शुरु हो गया।