कई बार हां-ना के बाद लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे राजबब्बर ने गाजियाबाद से अपने पुराने नाते को याद किया।
‘अमर उजाला’ से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि गाजियाबाद की धरती से ही उन्होंने आंदोलन की राजनीति सीखी और पूरे हिंदुस्तान में उसे बढ़ाया।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ मिलकर आंदोलन किया, उसकी छाप आज भी तृणमूल सरकार के रूप में बरकरार है।
राजबब्बर ने रिलायंस पावर प्रोजेक्ट के लिए अधिगृहीत की जा रही किसानों की लड़ाई के विरोध में वर्ष 2006 में पूर्व मुख्यमंत्री के साथ आंदोलन शुरू किया था।
उनके एक इशारे पर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर किसान सड़कों पर उतर आते थे। उसी का असर है कि कांग्रेस ने उनके पुराने नाते को फिर से ताजा करने का मौका देकर गाजियाबाद से लोकसभा प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा।
राजबब्बर ने कहा कि गाजियाबाद उनके लिए नया नहीं है। बझैड़ा के खेतों में उन्होंने ट्रैक्टर चलाया, किसानों के साथ आंदोलन में 32 बार डासना जेल गए।
उन्होंने कहा कि गाजियाबाद मुझे अपना घर लगता है। मेरे कई रिश्तेदार और परिचित भी यहां रहते हैं। गाजियाबाद से चुनाव लड़ने के फैसले को उन्होंने पार्टी हाईकमान का आदेश बताया, लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा भी इसमें शामिल है।
भाजपा या नरेंद्र मोदी की लहर के सवाल पर उन्होंने कहा कि लहर पार्टी या व्यक्ति की नहीं, बल्कि जनता की है। जनता ही उनका फैसला करेगी। उन्होंने ‘आप’ पार्टी के असर से भी इनकार किया।
गाजियाबाद के सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के कार्यकाल पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई किसी पार्टी या व्यक्ति से नहीं, गाजियाबाद की समस्याओं से होगी।
आगरा और फिरोजाबाद में उन्होंने जैसा विकास कार्य किया है, उससे ज्यादा वह गाजियाबाद में करेंगे। फिरोजाबाद सीट छोड़ने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने वहां के लोगों को नहीं छोड़ा है।
पार्टी के आदेशों का पालन किया है। गाजियाबाद से सीट जीतकर पार्टी का लक वापस लाना है। उन्होंने गुटबाजी से इनकार करते हुए कहा कि पार्टी हाईकमान के निर्देश पर सभी कार्यकर्ता एक साथ मिलकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मतभेद नहीं।
उन्होंने कहा कि जल्द ही पार्टी के जिला और महानगर संगठन पदाधिकारियों के साथ बैठक कर जनसंपर्क शुरू करेंगे। दो दिन बाद से वह गाजियाबाद में लोगों के साथ मिलकर रहेंगे।