दिल्ली की गद्दी पर 49 दिन विराजमान रहने के बाद अरविंद केजरीवाल ने जन लोकपाल बिल के मुद्दे पर इस्तीफा दिया, तो कयास लगाए जाने लगे कि यह कदम लोकसभा चुनावों से पहले हाथ खाली करने के लिए उठाया गया है, ताकि खुद को पूरी तरह प्रचार में झोंका जा सके।
जाहिर है, अगर आम आदमी पार्टी ने अपनी रणनीति चमकानी शुरू कर दी है, तो दिल्ली के सीएम पद से केजरीवाल के इस्तीफा देते ही कांग्रेस भी अपने तरकश के तीर को धार देने लगी है, जिसे दिल्ली में AAP की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे को जरूरत से ज्यादा भाव देने को लेकर खफा हैं, तो साथ ही आगामी चुनौतियों का अंदाजा लगाकर उनसे निपटने की तैयारियां भी कर रहे हैं। कांग्रेस ने केजरीवाल की ‘शहादत’ के इस कदम का असर खत्म करने का प्लान बनाया है, जो बेहद दिलचस्प है।
अमूमन यह कम देखने को मिलता है कि सरकार बचाने की जद्दोजहद में लगे रहने वाले नेताओं के बीच कोई ऐसा नेता सामने आए, जो किसी मुद्दे पर अपनी सरकार का इस्तीफा दे। केजरीवाल ने जब यह कदम उठाया, उससे पहले पर्याप्त इशारे मिल गए थे कि वह ऐसा करने जा रहे हैं।
जाहिर है, कांग्रेस मानकर चल रही है कि केजरीवाल ने यह इस्तीफा जन लोकपाल बिल के नहीं दिया, बल्कि इसलिए दिया ताकि लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी प्रचार में जोर लगा सके।
कांग्रेसी सूत्रों का कहना है, “केजरीवाल ने जन लोकपाल पर इस्तीफा दे दिया, लेकिन वह यह भूल गए कि उनकी पार्टी किस लक्ष्य के साथ बनी थी और उसी लक्ष्य को आधार बनाकर बदलाव लाने वाली सरकार खड़ी करने का दावा किया था।”