हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
सीबीआई के वीरभद्र सिंह से पूछताछ की संभावना को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान भी सकते में है। वीरभद्र सिंह भी देर शाम दिल्ली पहुंच गए।
उनके बुधवार को सोनिया और राहुल गांधी से मिलकर सफाई देने की संभावना है। वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह ने कांग्रेस मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर सफाई पेश की है। कांग्रेस हाईकमान अभी तक वीरभद्र के साथ खड़ा दिख रहा है।
वीरभद्र की ओर से जारी बयान को बाकायदा कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया विभाग ने जारी किया है। वीरभद्र ने भाजपा नेता अरुण जेटली के आरोपों का बिंदुवार जवाब देते हुए अपने आठ पेज के बयान में कहा है कि उन्होंने कोई रिश्वत नहीं ली है।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेता हिमाचल प्रदेश के चुनावों में हार के बाद हताशा में झूठी कहानियां गढ़ रहे हैं। अपनी सुविधानुसार तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।
उन्होंने सफाई दी कि उनके आयकर रिटर्न और परिवार की ओर से लिए गए कर्ज से जुड़े वही पुराने मुद्दे फिर से उठाए जा रहे हैं, जिसका जवाब और स्पष्टीकरण समय पर दिया जा चुका है और इसमें कुछ भी नया नहीं है।
दरअसल, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस पहले से ही बैकफुट पर चल रही है। ऊपर से वीरभद्र सिंह पर लगे भ्रष्टाचार के ताजा आरोपों से पार्टी हाईकमान मुश्किल में पड़ गया है।
परेशानी की बात इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि वीरभद्र सिंह पर सीबीआई का शिकंजा कसने की बात आ रही है।
सीबीआई अगर मुख्यमंत्री को पूछताछ के लिए बुलाती है तो ऐसे में उनका बचाव करना पार्टी के लिए मुश्किल पड़ सकता है।
सोमवार को कांग्रेस ने वीरभद्र का खुलकर बचाव किया था। पार्टी की ओर से वीरभद्र सिंह का आठ पेज का बयान जारी किया गया।
बयान में मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसी अधिकारी की� डायरी में वीबीएस लिखे जाने की बात को बेवजह तूल दिया जा रहा है, जबकि डायरी में कई भाजपा नेता और उसके मंत्रियों के नाम है। डायरी में इस तरह की एंट्री किसी तरह का कोई कानूनी सबूत नहीं बन सकती।
सुप्रीम कोर्ट जैन हवाला डायरी में लालकृष्ण आडवाणी के नाम आने के मुद्दे पर यह बात कह चुका है। उन्होंने कहा कि एक बार को छोड़कर इस्पात इंडस्ट्री के लोग उनसे कभी नहीं मिले है। इस्पात मंत्री के नाते उन्होंने कभी उनसे कोई लाभ नहीं लिया।