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घटनाचक्र : भ्रस्टाचार विरोधी आंदोलन से आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार तक …

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आंदोलन से लेकर पार्टी और पार्टी के सरकार बनाने तक वो आदमी जिसने  आंदोलन के लक्ष्यो को लेकर शुरू से अंत संघर्ष किया चाहे उसके साथी और जिसे वो गुरु मानता था साथ छोडते गए …यहाँ तक की अब तो विरोधी भी हो गए है पर उसने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया । आइये आंदोलन से पार्टी और दिल्ली मे आम आदमी पार्टी सरकार बनने तक के घटनाचक्र पर नजर डालते है ।

अन्ना आंदोलन के दूसरे चरण में  25 जुलाई 2012 को अन्ना के साथ केजरीवाल , मनीष सीसोदिया और गोपाल राय और अन्य साथी इंडिया अगेनेस्ट करप्शन के  कार्यकर्ता , राजनीतिक दलो और नौकरशाही के भ्रस्टाचार पर  जनलोकपाल बिल , सिटीजन चार्टर  और  भ्रस्टाचारियो मंत्रियो की जांच के लिए एस आई टी की गठन की मांग के लिए  की अनशन पर बैठे ये आंदोलन पूरी तरह अराजनीतिक था ।

 ( अब तक  संघी , भाजपा , एबीवीपी भी  समर्थन में थे क्योंकि उन्हे उम्मीद थी की ये कांग्रेस विरोधी आंदोलन की तरह ही चल रहा है पर टीम अन्ना  के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल की बाबा रामदेव से नहीं पटी सो भगवा बिग्रेड ने रामदेव की अगुवाई में 9 अगस्त से आंदोलन करना तय किया )

10 दिन के अनशन के बाद जब मरणासन्न स्थिति हो गई तो 23 गणमान्य लोगो की चिट्ठी अनुपम खेर ने पढ़ के सुनाई की अनशन खत्म कर आंदोलन  को एक राजनैतिक विकल्प के रूप में आगे बढ़ाना चाहिए  । उसके पहले की रात अन्ना के 40 सहयोगीयो की मीटिंग हुई थी जिसमे जनरल वी के सिंह मौजूद थे और उन्होने पार्टी बनाने का समर्थन किया था । मीटिंग मे वी के सिंह नारे लगा रहे थे सिंहासन खाली करो जनता आती है ”

3 अगस्त 2012 को अन्ना अनशन से ये कहकर उठे थे की अनशन की सरकार नहीं सुनती है ऐसे में उन्हे अब विकल्प देना होगा …

उसी समय से  अन्नाजी  की सहमति से मीडिया में पोल , मैसेज के जरिये लोगो की राय मांगी गई थी की कोई राजनीतिक दल बनाना चाहिए की नहीं …. ।

अरविंद केजरीवाल अन्ना की अगुवाई में राजनीति दल बनाने को तैयार हो गए थे जनता से राय ली जा रही थी

इसी बीच बाबा रामदेव ने 9 अगस्त 2012 को अपने समर्थको के साथ अलग से कांग्रेस विरोधी आंदोलन किया जिसके मंच से  14 अगस्त तक भाजपा के अध्यक्ष  गडकरी और  एन डी ए के संयोजक शरद यादव और सुब्रमण्यम स्वामी जैसे नेता अपना राजनीतिक एजेंडा पूरा कर गए ।

लेकिन रामदेव  अपना आंदोलन अराजनैतिक बताते रहे । मंच पर चढ़कर किरण बेदी भी कांग्रेस के खिलाफ बोली भाजपा पर कुछ नहीं कहा । बाबा रामदेव के मंच पर राजनैतिक पार्टियो के लोग देखकर  केजरीवाल भड़के थेट्वीट करके कहा था की  राजनैतिक आन्दोलन मे भाग लेने पर किरण बेदी से स्पष्टीकरण लिया जायेगा ।

उधर कोयला स्केम पर टीम केजरीवाल का हल्ला बोल जारी था 26 अगस्त को दिल्ली में  टीम केजरीवाल ने  सोनिया गांधी के घर , प्रधान मंत्री कार्यालय और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर पर प्रदर्शन किया ये एक तरह से आन्दोलंकारियों की  गुरिल्ला छापामार नीति थी  जो पुलिस को छ्काने में सफल रही , प्रदर्शन सफल रहा  । केजरीवाल की मीडिया में लोकप्रियता बढ़ती गई ।सोशल मीडिया पर केजरीवाल का राजनीतिक विकल्प (पार्टी) छाया हुआ था ।

किरण बेदी  ने  भाजपा के खिलाफ ( भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर के बाहर )   प्रदर्शन करने को लेकर ट्वीट कर टीम केजरीवाल से नाखुशी दिखाई , फिर किरण बेदी केजरीवाल के आंदोलन से बाहर ही रही  ।

अन्ना जो अब किरण बेदी के प्रभाव में थे उन्हे अपना निर्णय गलत लगने लगा , आंदोलन उनके नाम  पर चल रहा था जो केजरीवाल की अगुवाई में  एक राजनीतिक दल बन रहा था  अन्ना  अपनी अराजनीतिक छवि को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे ।

उनका मन बदलने लगा था या यूं कहिए की किरण बेदी और भाजपा समर्थको ने  अब अन्ना को चारो और से घेर लिया था ।  टीम अन्ना की  19 सित्ंबर को दिल्ली में कान्स्टीट्यूशन हाल में मीटिंग हुई । चूंकि यह मीटिंग आम जनता की मीटिंग नहीं थी,अतः मेरे जैसे लोगों का उसका हिस्सा बनने का प्रश्न ही नहीं उठता । मीटिंग का जो समाचार आया उससे पता चला कि उस सभा में बहुमत राजनैतिक विकल्प के पक्ष में था, खुद पर अन्ना हजारे ने बहुमत के विचारों को वीटों करते हुए वही राग दुहराया जो उन्होंने अपने पिछले शाम के भाषण में कहा था,पर उस सभा से बाहर निकलने के बाद तो मीडिया में उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि बनने वाली पार्टी में उनका नाम नहीं आएगा और न किसी पत्राचार में उनके नाम का उल्लेख होगा।

वहाँ से निकालकर  अन्ना  रामदेव  से मिलने पहुंचे  ये मीटिंग रामदेव के  प्रवक्ता और कारोबारी प्रमोद जोशी ने गुप्त रूप से दिल्ली में एक फार्म हाउस  फिक्स की , अन्ना और रामदेव ने क्या बाते की कोई नहीं जानता ।  अब अन्ना जी के सुर बदलते  गए …कभी वो कहते की अरविंद की पार्टी का समर्थन नहीं करूंगा कभी कहते अरविंद सत्ता का लोभी नहीं है पर उसके साथ के लोग हो सकते है अन्ना का ढुलमुल रवैया चलता रहा …

दोनों प्रमुख दलो के भ्रस्टाचार से त्रस्त जनता की उम्मीद अब अन्ना के  रोज बदलते बयानो की वजह से खत्म हो चली थी    आंदोलन की जनता केजरीवाल के साथ हो ली , फिर केजरीवाल और उनके साथियो ने किसी पार्टी को नहीं बक्सा चाहे कितना ही बड़ा नेता हो या कारपोरेट । गडकरी , वाड्रा , खुर्शीद, मोदी अदानी अंबानी दिल्ली की बिजली कंपनिया और शीला दीक्षित ,  दिल्ली एम सी डी में  भाजपा का भ्रस्टाचार एक के बाद मीडिया में खुलासे होते गए ।

जनता ने पहली बार देखा की कोई एक साथ दोनों प्रमुख पार्टियो को  उनही के चुनावी  मैदान में लड़ने चुनौती दे रहा है । केजरीवाल और उनके साथियो और दिल्ली के आम समर्थको  ने दृढ़ निश्चय कर लिया और चुनाव में पहले बार उतरी पार्टी ने 28 सीटे जीती । शीला दीक्षित को उसी की सीट पर अरविंद केजरीवाल ने हराया ।

दिल्ली की चुनावी राजनीति में ‘आप’  की सफलता के कारण बने माहौल की वजह से   आगामी लोकसभा चुनाव में अपने छवि साफ रखने को लेकर ,पहली बार ऐसा हुआ की सबसे बड़े दल भाजपा (32 सीट)  ने सरकार बनाने से इंकार कर दिया, पहली बार हुआ कि कांग्रेस के विधायक गालिया देते हुए कैमरे पर पकड़े गए पर मजबूरन उन्हे समर्थन देना पड़ा ..नहीं देते तो दुबारा चुनाव होते जिसका नुकसान कांग्रेस को भी हो सकता था , जो भी हो आलोचना करने वाले भी अरविंद को शासन चलाने में अयोग्य मान रहे थे …

अब जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री है … अब ‘आप’ के घोषणा पत्र  वादे एक एक करके पूरे हो रहे है … आते ही पहले 48 घन्टो में गरीबो के लिए रैन बसेरो की व्यवस्था की  बिजली कंपनियो के आडिट के आदेश दिये जा चुके है । जल बोर्ड में सुधार किया गया सालो से एक ही जगह टिके अधिकारियों कर्मचारियो के तबादले किए ,   लोगो को 663 लीटर पानी फ्री दिया गया ,  भ्रस्टाचार रोकने के लिए तकनीक का सहारा लेकर आम लोगो को स्टिंग करने की लिए हेल्पलाइन जारी की ताकि सबूत मिलते ही  दोषियो पर कार्यवाही की जा सके   आने वाले 15 दिनो में बड़े नेता  भ्रस्टाचारियो की फाइले खुलने वाली है । एक चैनल के सर्वे में बताया की दिल्ली की 85 फीसदी  जनता अरविंद की सरकार से संतुष्ट है ।

अब वही दूसरी ओर वी के सिंह , रामदेव , किरण बेदी खुलकर भाजपा के पक्ष में आ चुके है … …अन्ना ने बिल पेश होने से दो दिन पहले अनशन शुरू किया था फिर सरकारी लोकपाल बिल पास होने पर खत्म भी किया , राहुल और कांग्रेस को  धन्यवाद दिया और अपने ही पूर्व साथी गोपाल राय  जिसने अन्ना के  साथ  जनलोकपाल की  लंबी लड़ाई लड़ी, मरणासन्न होने तक भूखे रहे उसे अपमानित कर मंच से भगा दिया अब  अन्ना रालेगण सिद्धि में बैठकर अपनी मूर्ति लगवाने के लिए राजनाथ सिंह को पत्र लिख रहे है ।  भाजपा अब  दिल्ली में राज ना मिलने की खुन्नस आम आदमी पार्टी पर निकाल रही है ।

आम आदमी पार्टी का समर्थन पूरे देश में नजर आने लगा है । आम आदमी पार्टी के  कुमार विश्वास राहुल को चुनौती देने अमेठी पहुँच गए है  आम आदमी की बढ़ती ताकत और जन समर्थन को देखकर  गुजरात का शेर गोवा में जाकर मिमिया रहा है ।  आने वाले दिनो में  लोकसभा के लिए लड़ा जाने वाला चुनावी  महासमर और रोचक होता जाएगा । बहुत से लोगो को आम आदमी पार्टी को लेकर कुछ सवाल और शंकाए और कुछ नीतिगत विरोध भी है लेकिन  देश के बहुत से लोगो को ‘आप ‘ में उम्मीद नजर आती है ।:

योगेश गर्ग

 

NCR Khabar News Desk

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