उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। अभी तक दंगा पीड़ितों की खराब स्थिति को लेकर सपा अन्य राजनीतिक दलों के निशाने पर थी। अब यूपी की अखिलेश सरकार दंगा आरोपियों के सहारे मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में है। सपा सरकार मुजफ्फरनगर में हुए दंगों से ठीक पहले भड़काऊ भाषण देने के आरोपियों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की तैयारी में है।
एक समाचार चैनल के मुताबिक सपा सरकार बीएसपी और कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं से केस वापस लेने की तैयारी कर रही है। अखिलेश सरकार ने इस संबंध में जिला प्रशासन से राय मांगी है। सरकार ने मुजफ्फरनगर और शामली के जिलाधिकारियों को इस संबंध में एक पत्र लिखा है और केस वापस लेने संबंध में रिपोर्ट मांगी है।
जिन नेताओं पर उकसाने वाला भाषण देने का आरोप है उनमें बीएसपी सांसद कादिर राणा, विधायक नूर सलीम और मौलाना जमील अहमद, पूर्व कांग्रेस मंत्री सईदुज्जमां और उनके बेटे सलमान सईद, समुदाय के नेता असद जमा, नौशाद कुरैशी, एक व्यापारी अहसान, वकील सुलतान मशीर सहित कई लोग शामिल हैं।
इन सभी नेताओं पर पुलिस ने धारा 144 तोड़ने और भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया था। यूपी सरकार के इस फैसले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने ने सपा पर निशाना साधा है। बीजेपी ने इसे मुस्लिम वोट बैंक हथिाने की कोशिश बताया है।