द. अफ्रीका ने भारत को 141 रनों से धोया
जिस बात की उम्मीद की जा रही थी, वही हुआ। बल्लेबाजों को न उछाल समझ आया, न गति का ही कुछ अंदाजा लगा। गेंदबाजों की भी जमकर खातिरदारी हुई।
नतीजा, मेजबान दक्षिण अफ्रीका ने पहला वनडे 141 रनों से जीतकर टीम इंडिया से अपने ही अंदाज में कहा… अफ्रीकी सफारी पर आपका स्वागत है।
दक्षिण अफ्रीका से मिले 359 रन के लक्ष्य के जवाब में भारतीय धुरंधरों का 217 रनों पर ही पैकअप हो गया। केवल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (65 रन) ही जूझने का जज्बा दिखा सके। भारतीय बल्लेबाजों की हालत इस मैच में वैसी ही थी, जैसे एक जमाने में वेस्टइंडीज के धुरंधर तेज गेंदबाजों के सामने दुनिया भर के बल्लेबाज थर-थर कांपते थे।
लंबे समय तक घरेलू परिस्थितियों में रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन करने वाले भारतीय बल्लेबाजों का तो हाल बेहद दयनीय रहा। भारतीय बल्लेबाजी की नई तिकड़ी धवन, रोहित और कोहली में से कोई भी विश्वास के साथ स्टेन एंड कंपनी का सामना नहीं कर सका।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे में दोहरा शतक ठोकने वाले ओपनर रोहित शर्मा को खाता खोलने में 16 गेंदें लगी। 18 रन बनाने के लिए उन्होंने 43 गेंदों का सामना किया। वहीं धवन भी शॉर्ट पिच गेंद पर 12 रन बनाकर विकेट गंवा बैठे। युवराज सिंह को तो मानो पता ही नहीं चल सका कि गेंद कहां से आएगी और कहा जाएगी।
पिच पर उनकी मौजूदगी केवल दो गेंदों के लिए रही, जिनमें से एक उनके हाथ पर लगी तो दूसरी विकेटों पर। कोहली जरूर अपने रनों को 31 के स्कोर तक ले गए, लेकिन उनकी पारी का अंत भी यहीं हो गया।
इसके आगे की कहानी के बारे में बात न ही की जाए तो बेहतर होगा। रैना रन आउट होकर पवेलियन लौटे तो सर जडेजा 29 रन बनाकर बोल्ड हो गए। दक्षिण अफ्रीका की ओर से स्टेन और मैक्लारेन ने तीन-तीन विकेट लिए।
इससे पहले लंबे समय तक घरेलू हालात में खेलने के बाद दक्षिण अफ्रीका पहुंचे भारतीय गेंदबाज मेजबान बल्लेबाजों के खिलाफ बृहस्पतिवार को खेले गए पहले वनडे में पूरी तरह लय से भटके नजर आए।
न भुवनेश्वर चले, न मोहित और न ही अश्विन का ही जादू चला। मेजबान बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों की ऐसी मेहमाननवाजी की, कि वांडरर्स स्टेडियम में देखते ही देखते 4 विकेट पर 358 रन का पहाड़नुमा स्कोर खड़ा हो गया।
भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीतकर क्षेत्ररक्षण का फैसला किया जो उनके पक्ष में नहीं रहा। दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष पांच में से चार बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई की। केवल जैक्स कैलिस 14 गेंदों में दस रन बनाकर आउट हुए।
ओपनर क्विंटन डी कॉक (135) के विस्फोटक शतक और हाशिम अमला (65) कप्तान एबी डीविलियर्स (77) तथा जेपी डुमिनी (नाबाद 59) के ताबड़तोड़ अर्द्धशतकों से दक्षिण अफ्रीका ने 50 ओवर में चार विकेट पर 358 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। कॉक ने अपने कैरियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलते हुए दूसरा वनडे शतक बनाया।
उन्होंने 121 गेंदों में 18 चौके और तीन छक्के जड़े। कॉक और अमला ने पहले विकेट के लिए 29.3 ओवर में 152 रन की साझेदारी की। जबकि डीविलियर्स और डुमिनी ने चौथे विकेट के लिए तूफानी अंदाज में 7.4 ओवर में ही 105 रन ठोक डाले।
भारत की ओर से मोहम्मद शमी ने तीन विकेट जरूर लिए, लेकिन वे किसी भी समय रनों की गति पर लगाम लगाते हुए नहीं दिखे। जोहानिसबर्ग के इसी मैदान में 2003 के विश्वकप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ 359 रन बनाए थे।