पीएम मोदी के श्रीलंका व सेशेल्स दौरे में निशाने पर होगा चीन

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को सेशेल्स, मारीशस व श्रीलंका की पांच दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। ऊपरी तौर पर भले ही यह द्विपक्षीय यात्रा लगे, लेकिन चीन को लेकर भारतीय कूटनीति के बढ़ रहे आत्मविश्वास का एक बड़ा उदाहरण है। हाल के दशक में पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री हिंद महासागर के इन तीनों देशों की एक साथ यात्रा पर जा रहा है। मोदी की यह यात्रा इसलिए भी उल्लेखनीय है कि चीन इन तीनों देशों में अपने सैन्य ढांचे को मजबूत करने में जुटा हुआ है।
जानकारों के मुताबिक जापान की यात्रा के बाद मोदी का श्रीलंका और सेशेल्स जाने का फैसला ऐसा दूसरा उदाहरण है, जो बताता है कि भारत हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को लेकर अब चुप नहीं बैठने वाला है। चीन को संकेत देने के उद्देश्य से ही इन तीनों देशों की यात्रा एक साथ करने का फैसला किया गया है।
भारतीय पक्ष इन तीनों देशों की यात्रा को कितना महत्व दे रहा है, इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि हाल के दिनों में मारीशस के राजनीतिक घटनाक्रम को भी नजरअंदाज किया गया है। सनद रहे कि मारीशस के पूर्व राष्ट्रपति व भारत समर्थक माने जाने वाले मोहम्मद नशीद की गिरफ्तारी पर सरकार ने सख्त प्रतिक्रिया दी थी। मारीशस ने हाल के महीनों में पाकिस्तान के साथ ज्यादा गहरे संबंध बनाने में दिलचस्पी दिखाई है। कई विशेषज्ञों की नकारात्मक राय के बावजूद ने मोदी ने इस यात्रा को बनाये रखने का फैसला किया है।
दरअसल, चीन काफी समय से श्रीलंका, सेशेल्स और मारीशस में अपने कूटनीतिक बढ़त बनाने में लगा हुआ है। माना जाता है कि लंबी अवधि में भारत को हिंद महासागर में घेरने की चीन की इस नीति को केंद्र सरकार लंबे समय तक नजरअंदाज करती रही है। लेकिन अब भारत इन तीनों देशों के साथ अपने रिश्ते की नई ताबीर लिखने की कोशिश में है। यही वजह है कि 13-14 मार्च, 2015 को मोदी की यात्रा के दौरान भारत की तरफ से श्रीलंका को चीन से भी बेहतर शर्तो पर आर्थिक व सैन्य मदद देने की पेशकश की जाएगी। मोदी 27 वर्षो बाद श्रीलंका जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे
विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बताया, ‘श्रीलंका के साथ मछुआरों की स्थिति से लेकर आर्थिक सहयोग तक के तमाम मुद्दे पर बातचीत होगी। भारत में रह रहे एक लाख से ज्यादा श्रीलंकाई तमिलों की घर वापसी का मुद्दा भी उठेगा। भारत किस तरह से श्रीलंका को पुनर्गठन में मदद कर सकता है, इस पर भी विचार-विमर्श होगा।’