छत्तीसगढ़ में पहले चरण का चुनाव प्रचार आज थम गया है। इस चरण में 18 सीटों के लिए सोमवार को वोट डाले जाएंगे।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो 8 दिसंबर की मतगणना के बाद छत्तीसगढ़ में किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला सोमवार की वोटिंग के बाद ही हो जाएगा।
पहले चरण में जिन 18 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें 12 माओवाद प्रभावित बस्तर इलाके में है।
पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा यहां 11 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इलाके से कांग्रेस ने जो एक मात्र सीट जीती थी, वह कोंटा की थी, जहां से कवासी लकमा विजयी हुए थे।
पहले चरण में जिन 6 अन्य सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, वे राजनांदगांव जिले की हैं। इनमें से 4 सीटें भाजपा के कब्जे में हैं, जबकि कांग्रेस के हिस्से में दो सीटे हैं।
इस तरह देखें तो सोमवार को जिन सीटों पर वोट होना है, उनमें 15 भाजपा के पास हैं और 3 कांग्रेस के पास। पिछले चुनाव में भाजपा ने छत्तीसगढ़ में 50 सीटें जीतीं थी और कांग्रेस ने 38 सीटें।
पहले चरण में जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उन्हें अलग कर दिया जाए छत्तीसगढ़ विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस दोनों की हिस्से 35-35 सीटें बचती हैं। ये समीकरण ही पहले चरण को महत्वपूर्ण बना देता है।
सहानुभूति की लहर पर कांग्रेस
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता से 10 सालों से बाहर है। पार्टी वापसी के लिए बस्तर और राजनांदगांव की सीटों पर आश्रित है।
मई में माओवादी हमले में कांग्रेस नेताओं की मौत बस्तर इलाके में ही हुई थी। पार्टी हादसे के बाद पैदा हुई सहानुभूति की लहर का प्रयोग भी अपने पक्ष में करने की कोशिश की है।
हमले में मारे गए कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवकी कर्मा को दंतेवाड़ा और उदय मुदलियार की पत्नी अलका मुदलियार को राजनांदगांव से टिकट दिया गया है।
रमन सिंह को जीत का भरोसा
लगातार तीसरी बार चुनाव जीतने की मुहिम में जुटे मुख्यमंत्री रमन सिंह, सहानुभूति बटोरने की कांग्रेस की कोशिशों से बेफिक्र हैं।
उनका दावा है कि पार्टी ने पिछले चुनाव में बस्तर की 12 में से 11 सीटें जीतीं थी, इस बार सभी 12 सीटें जीतेगी। रमन सिंह राजनांदगांव सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।