main newsभारतराजनीति

सपा सरकार में कायम बसपा नेता का रुतबा

bsp-528276fcd76e2_exlसूबे में हुकूमत भले ही बदल गई हो लेकिन बसपा नेता उमा शंकर सिंह का रुतबा बरकरार है।

पीडब्ल्यूडी बसपा शासनकाल में जितनी दरियादिली के साथ उन्हें ठेके दे रहा था उतनी ही इस सरकार में भी दिखा रहा है।

मायावती सरकार में सिर्फ दो साल में उमा शंकर की फर्म छात्र शक्ति इन्फ्रास्ट्रक्चर को 55 ठेके मिले तो सपा के डेढ़ साल के शासनकाल में 20 ठेके मिल गए।

दिलचस्प बात यह है कि पिछली सरकार में छात्र शक्ति इन्फ्रास्ट्रक्चर को दिए गए ठेकों में से 25 के काम पूरे नहीं हुए हैं इसके बावजूद उसे नए काम आवंटित कर दिए गए हैं।

आरोप यह भी है कि उमा शंकर की इस फर्म में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बसपा विधायक तथा लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता रह चुके टी. राम की भी हिस्सेदारी है।

इसकी शिकायत लोकायुक्त से की गई है। प्रारंभिक जांच में ही शासन के ढुलमुल रवैये को देखते हुए लोक आयुक्त ने अब खुद जांच शुरू कर दी है।

उमा शंकर द्वारा बनाई गई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पंजीकरण के दस्तावेजों के साथ लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को 18-19 नवंबर को तलब किया गया है।

बलिया के सुभाष चंद्र सिंह उर्फ क्रांतिकारी ने लोक आयुक्त से उमाशंकर की शिकायत करते हुए विधायक बनने के बाद भी ठेकेदारी करने का आरोप लगाया है।

शिकायत में उमाशंकर सिंह के कई साझीदारों का उल्लेख करते हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी व टी. राम की भी हिस्सेदारी का आरोप लगाया गया है।

शिकायत के साथ संलग्नकों में पूर्व विधायक सनातन पांडेय द्वारा सरकार को भेजी गई एक शिकायत नत्थी की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि काम पूरे नहीं हुए और भुगतान कर दिया गया।

लोक आयुक्त ने इसकी जांच प्रमुख सचिव लोक निर्माण से कराई तो पता चला कि आरोप सही है। बिना काम पूरा हुए अधीक्षण अभियंता ने भुगतान कर दिया।

यही नहीं प्रमुख सचिव ने काम मानक के अनुसार न कराए जाने की सूचना देते हुए मामले की जांच कराए जाने और संबंधित एसई का स्थानांतरण कर दिए जाने की भी सूचना दी।

लोक आयुक्त ने प्रमुख सचिव से पूछा कि 55 काम एक ही कंपनी को क्यों मिले? तो विभागीय अधिकारी चुप्पी मारकर बैठ गए।

इसके बाद लोक आयुक्त ने खुद जांच शुरू की। जांच में पता चला है कि पहले उमाशंकर छात्र शक्ति इन्फ्रास्ट्रक्चर के एकमात्र प्रोप्राइटर थे।

मुख्य अभियंता मुख्यालय-2 एचएन पांडेय की रिपोर्ट के अनुसार 16 मार्च 2007 को उमाशंकर 30 जून 2009 तक के लिए फर्म के सोल प्रोप्राइटर बने थे।

10 सितंबर 2009 को इसका नवीनीकरण कराकर वह 30 जून 2012 तक के लिए सोल प्रोप्राइटर बन गए।

इस बीच उमाशंकर के चुनाव जीत जाने के बाद उनकी सोल प्रोप्राइटरशिप रद्द करके प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकरण कर दिया गया।

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में उनके पांच लाख के शेयर हैं। जांच में यह भी पता चला कि मार्च 12 के बाद उनकी फर्म को 20 नए काम आवंटित किए।

बैक डेट में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पंजीकरण की आशंका को देखते हुए लोक आयुक्त ने 18 नवंबर को मुख्य अभियंता एचएन पांडेय तथा 19 को आजमगढ़ के अधीक्षण अभियंता को सारे दस्तावेजों के साथ तलब किया है।

पीडब्ल्यूडी से छात्र शक्ति इन्फ्रास्ट्रक्चर के बैंक खाते का ब्योरा भी मांगा गया है। अधिकारी खातेदारों के नाम बताने से कन्नी काट रहे हैं।

प्रारंभिक जांच में यह साफ हो गया है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत विधायक ठेकेदारी नहीं कर सकता। अगर इसकी पुष्टि हो जाती है तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है।

NCR Khabar News Desk

एनसीआर खबर.कॉम दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित और नं.1 हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें mynews@ncrkhabar.com पर भेज सकते हैं या 09654531723 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं

Related Articles

Back to top button